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एक कंपनी ऐसी भी: कर्मचारी की मौत हुई तो बॉडी को घर भेजने बुक किया प्लेन, खर्च कर दिए 60 लाख
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मृतक के घरवाले रितेश की डेडबॉडी को कोलकाता से इंदौर लाने की व्यवस्था कर रहे थे। इसी दौरान कंपनी ने बॉडी को घर तक पहुंचाने के लिए 180 सीटर प्लेन बुक कर दिया। जिसमें करीब 50 से 60 लाख रुपए का खर्च आया। जब प्लेन कोलकाता में नहीं मिला तो कंपनी ने दिल्ली से इसकी व्यवस्था की। इतना ही नहीं, कंपनी ने पीड़ित परिवार की मदद और हिम्मत रखने के लिए बॉडी के साथ 30 कर्मचारी भी भेजे।
जैसे रितेश का शव इंदौर पहंचा घरवाले अचंभित थे। परिजनों का कहना है कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि विसुवियस कंपनी हमारे लिए इतना कुछ करेगी। मुझे नहीं लगता कि ऐसी कंपनी दुनिया में कोई और होगी जिसने एक मरे कर्मचारी के लिए 60 लाख रुपए खर्च कर दिए। कंपनी के 3 कर्मचारी तो चार दिन तक घर में रुके रहे और सभी कार्यक्रम संपन्न कराकर कोलकाता लौटे।
रितेश के साले बादल चौरड़िया ने बताया कि जीजाजी को अभी दो साल ही हुए थे विसुवियस कंपनी में नौकरी करते हुए। लेकिन कंपनी जिस तरह से एक परिवार की तरह मदद की है वह सभी के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने बताया कि एक युवक का रुटीन किराया कोलकाता से इंदौर का करीब 5 हजार होता है। फिर 30 लोगों के लिए दिल्ली से प्लेन कोलकाता बुलवाया और वहां से इंदौर भेजा, फिर खाली प्लेन वापस दिल्ली गया। इस पूरी प्रक्रिया में कंपनी के 50 लाख रुपए खर्च हो गए। कंपनी ने यह काम जब किया तब जीजाजी उनके किसी काम के नहीं थे, वह दुनिया छोड़ चुके थे।
रितेश के भाई सौरभ डूंगरवाल कहते हैं कि परिवार चाहता था कि भैया का अंतिम संस्कार इंदौर में हो। लेकिन हमने सोचा नहीं था कि उनकी कंपनी हमारी इस तरह मदद करेगी। भैया के साथ भाभी और दो बच्चे आए, हम एक प्राइवेट जेट बुक करने की सोच रहे थे, लेकिन उससे पहले ही उनका शव इंदौर आ गया।
बता दें कि रितेश डूंगरवाल ने इंदौर के निजी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। मुंबई से एमटेक किया, फिर वहीं से एमबीए किया। शुरुआत में रितेश ने कई कंपनी में जॉब किया, फिर दो साल पहले ही वह कोलकाता की इस कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर की पोस्ट पर ज्वॉइन किया था।