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- देवास हादसा: बुआ के साथ गोद में ही मर गया 1 साल का बच्चा, मासूम का चेहरा देख भावुक हो गई NDRF टीम
देवास हादसा: बुआ के साथ गोद में ही मर गया 1 साल का बच्चा, मासूम का चेहरा देख भावुक हो गई NDRF टीम
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बता दें, जिस वक्त यह हादसा हुआ उस दौरान मृतका सिमरन के हाथ में मोबाइल था। मलबे में दबे होने के बावजूद उसने अपने भाई फैजल और परिवार से बात की थी। इस बातचीत में परिवार ने उससे कहा था हिम्मत रखना, घबराना नहीं, तुमको बाहर निकाल लिया जाएगा। सिमरन ने कहा था- भाई आहिल बहुत रो रहा है। वह मेरी गोद में है। पता नहीं हम निकलेंगे या नहीं। इसके बाद संपर्क टूट गया। देर रात दोनों के शव निकाले गए।
रात डेढ़ बजे तक एनडीआरएफ की 30 सदस्यीय टीम ने मोर्चा संभाला रखा था। कैमरे डालकर मलबे में दबे तीन लोगों को देखा गया। मकान की कांक्रीट कटर, तीन जेसीबी और क्रेनों की मदद से मलबे को हटाया गया। इतनी कोशिशों की बाद तीन में से सिफ एक बच्चे रिहान (13) को बचा पाए, जबकि सिमरन और मासूम बच्चा आहिल के शव मिले।
हादसे में घायल महिला शबाना का इलाज इंदौर के अस्पताल में चल रहा है।
घर के मुखिया जाकिर शेख की पत्नी अंजुम भी इस हादसे का शिकार हुईं। उन्होंने बताया, जिस वक्त मकान गिरा मैं चाय बना रही थी। हम सभी घरवाले आपस में बात करते हुए हंसी-मजाक कर रहे थे। इसी दौरान अचानक मकान गिरने लगा। हम बाहर भी नहीं निकल सके और मलबे में दब गए। कुछ देर बाद देखा तो मेरा हाथ पिलर के नीचे दबा था और सिर के ऊपर मिट्टी पड़ी थी। धन्यवाद रेस्कयू टीम का जिन्होंने समय रहते हमको निकाल लिया।
इस भयानक हदासे की शिकार हुई जाकिर शेख की बेटी अलीशा ने बताया, जिस वक्त मकान गिरा मैं मोबाइल चला रही थी। इसी दौरान छत हिलने लगा और एक पिलर मेरे ऊपर आकर गिरा। किसी तरह मैं वहां से भागी और बाहर आ गई। लेकिन मेरी बड़ी बहन अक्शा नहीं निकल पाई और दब गई।
मलबे से बाहर निकाले गए परिवार के सदस्य जाकिर शेख ने कहा- मकान गिरने के पांच मिनट पहले ही अंदर गया था। पहली मंजिल पर पहुंचा ही था कि मकान गिर गया। मैं एक तरफ था, शायद इसलिए जल्दी निकाल गया। मेरे हाथ में चोट आई है, बाकियों को ज्यादा चोट लगी है।
तीन मंजिला मकान का मलबा हटाते हुए स्थानीय लोग और प्रशासन की टीम।
इत तस्वीर को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह तीन मंजिला मकान जमींदोज हो गया।
रेस्क्यू टीम के साथ स्थानीय लोग भी मलबा हटाने में लगे रहे।
बता दें कि शाम पांच बजे से शुरू हुआ रेस्क्यू देर रात तक चला। नगर निगम कमिश्नर विशालसिंह चौहान और ट्रैफिक डीएसपी किरण शर्मा ने रेस्क्यू की कमान संभाल रखी थी। कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला और एसपी डॉ. शिवदयाल सिंह भी पहुंचे। तीन क्रेन, पांच जेसीबी, होम गार्ड की टीम रेस्क्यू ने किया।