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- नासिक हादसा: जिससे बचनी थी जान, उसी वेंटिलेटर पर थमी सांसें..तस्वीरें में देखिए बेबस परिजन चीखते रह गए
नासिक हादसा: जिससे बचनी थी जान, उसी वेंटिलेटर पर थमी सांसें..तस्वीरें में देखिए बेबस परिजन चीखते रह गए
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स्थानीय प्रशासन का कहना है कि लीकेज की वजह से ऑक्सीजन की सप्लाई करीब 30 मिनट के लिए ठप हो गई, जिसकी वजह से वेंटिलेटर पर मौजूद 22 मरीजों की तड़पते-तड़पते सांसे थम गईं। सामने उनके परिजन चीखते-चिल्लाते रहे, लेकिन वह चाहकर भी अपनों को नहीं बचा सके। तस्वीरें में देखिए बेबस परिजन तडपते-चीखते
जिस वेंटिलेटर पर कई दिन से लेटे मरीज सही होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन प्रशासन की लापरवाही से उसी वेंटिलेटर पर उनकी सांसे उखड़ गईं। किसी का पिता तो किसी का भाई इस बड़े हादसे का शिकार हो गया। चीखते हुए परिजन यही कह रहे हैं कि जिस ऑक्सीजन के लिए हम पिछले कई दिन से भटक रहे थे। लेकिन उसी ने हमारे अपनों को छीन लिया।
एक मृतक का परिजन बिलखते हुए बोला कि हमने हमारे परिवार का सदस्य खो दिया है। इसकी जवाबदेही कौन लेगा। मेरा भाई मरी ऑंखों के सामने तड़प-तड़पकर मर गया। लेकिन में कुछ नहीं कर पाया। हम कुछ कर पाते इससे पहले ही उनकी मौत हो गई।
वहीं कुछ परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि एक दिन पहले से ही हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी थी। प्रेशन बहुत कम था, रात में कई बार मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हुई। जब हमने इसकी शिकायत की तो उन्होंने कहा ऐसा कुछ नहीं सह ठीक हो जाएगा। लेकिन मरीज तड़पे तो हम फिर से ड्यूटी डॉक्टर के पास उसने नीचे भेजा फिर नीचे वाले कहीं और भेजा इस तरह हमको सिर्फ भटकना मिला। फिर दूसरे दिन इस हादसे ने उनकी सांसे ही छीन लीं।
इस तस्वीर को देखकर आप समझ सकते हैं कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कितनी किल्लत है। कैसे तड़पते मरीज को परिजन ऑक्सीजन की कमी हाथ से उसके सीने को दबाते हुए। ताकि किसी तरह तो वह जीवित रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना पर दुख जताया है। वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मारे गए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है।
कई ऐसे भी मरीज थे जो इस इादसे के समय हॉस्पिटल के बाहर कुर्सी और अपनी कार में सो रहे थे।