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पिता करता था मजदूरी, मां बेचती थी सब्जी, जज्बा देखिए-UPSC में बेटा ले आया 8वां पोजीशन
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शरण के मुताबिक उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे दिन भी देखे हैं जब उनके पूरे परिवार को भूखे पेट दिन गुजारने होते थे। बचपन से ही उनका मन पढ़ाई-लिखाई में लगता था। ऐसे में उनके माता-पिता ने उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाने का फैसला लिया था।
शरण की पढ़ाई में बाधा न आए इसके लिए उनकी मां सुदामती कांबले सब्जियां बेचती थीं और उनके पिता गोपीनाथ खेत में मजदूरी का काम किया करते थे।
बड़े भाई ने भी बीटेक किया और नौकरी हासिल की। आर्थिक स्थिति में थोड़े सुधार के बाद शरण को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली भेज दिया गया।
कांबले परिवार मानता है कि परिवर्तन के चमत्कार केवल शिक्षा के माध्यम से हो सकते हैं। बच्चों को कड़ी मेहनत के माध्यम से सिखाया जाता है।
गांव के लोग कहते हैं कि बच्चों ने अपने माता-पिता की कड़ी मेहनत को स्वर्णिम बना दिया। कांबले परिवार को इस पर गर्व है।