खुशियों पर संक्रमण: किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक ऐसा भी 'दिन' आएगा
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दाही हांडी की कहानी महाभारतकालीन है। कहते हैं कि भगवान कृष्ण से माखन छुपाने के लिए वृंदावन की महिलाओं ने उसे मटकी में भरकर टांगना शुरू कर दिया था। लेकिन कान्हा अपने साथियों के साथ पिरामिड बनाकर मटकी फोड़ देते थे। यह पर्व तब से चला आ रहा है। दही हांडी में कई फिल्म सितारे शामिल होते रहे हैं।
मुंबई के दही हांडी आयोजन देशभर में प्रसिद्ध हैं।
इस बार दही हांडी का यह हर्ष-उल्लास देखने को नहीं मिलेगा।
दही-हांडी का आयोजन हर उम्र के लोगों में उत्साह भरता रहा है।
जन्माष्टमी पर स्कूलों में भी कार्यक्रम होते रहे हैं। इस बार ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला।
जन्माष्टमी पर सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रम होते रहे हैं।
इस तरह देखने को मिलता रहा है जन्माष्टमी पर जोश।
दही-हांडी के कार्यक्रम में फिल्म सितारे शामिल होते रहे हैं।
कोरोना के चलते दही-हांडी के आयोजन कैंसल कर दिए गए हैं।
पूरे देश में ऐसे आयोजन होते रहे हैं।
दही-हांडी के आयोजनों में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते रहे हैं।
कोरोना के कारण इस बार दही-हांडी के आयोजन नहीं होंगे।
कोरोना संक्रमण के चलते दही-हांडी सहित तमाम धार्मिक आयोजन नहीं हो पाए।
इस तरह के दृश्य दिखते रहे हैं जन्माष्टमी पर।
यह तस्वीर जन्माष्टमी पर दही-हांडी आयोजन की पुरानी याद ताजा कराती है।
इस बार निराश हैं मस्तानों की टोलियां।
दही-हांडी आयोजन की एक पुरानी तस्वीर।