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कभी मिड डे मील खाकर मिटाते थे भूख, होटल में पोछे मारे, पढ़िए 21 साल में IAS बने ऑटो ड्राइवर के बेटे की कहानी
पुणे, महाराष्ट्र. मराठवाड़ा के एक छोटे से गांव शेलगांव में पैदा हुए अंसार शेख की संघर्ष गाथा हर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। बेहद गरीब परिवार में पले-पढ़े अंसार शेख 2015 में IAS बने थे। तब ये महज 23 साल के थे। अंसार यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले देश के सबसे छोटी उम्र के IAS थे। यह कोई चमत्कार नहीं था, बल्कि उनके संघर्ष का परिणाम था। उनके पिता ने चार शादियां की थीं। पिता ऑटो चलाकर परिवार पाल रहे थे। इतने पैसे नहीं थे कि बेटे को कॉलेज भेज सकें। कई बार उन्होंने बेटे को पढ़ाई छोड़कर कोई काम-धंधा शुरू करने को कहा। लेकिन बेटे को जैसे पता था कि उसकी मंजिल क्या है। स्कूल में मिड डे मील खाकर अपना पेट भरने वाले अंसार जब कॉलेज में पहुंचे, तो उनके पास सिर्फ एक जोड़ी चप्पल थीं और दो जोड़ी कपड़े। लेकिन लगन ऐसी कि तमाम कठिनाइयों को पार करके यूपीएसएसी का एग्जाम पास किया। अंसार की मां खेतों में काम करती थीं, ताकि परिवार चलाने में कुछ मदद हो सके। लेकिन संघर्ष देखिए.यह परिवार ऐसे गांव में रहता था, जो अकसर सूखे की मार झेलता है। मगर कोई भी जिंदगी से हार मानने को तैयार नहीं था। एक बार अंसारी ने कहा था कि उनके पिता 100-200 रुपए रोज कमाते थे। ऐसे में कई बार एक टाइम का खाना ही नसीब होता था। लेकिन कुछ बनना था, इसलिए कोशिशों में कमी नहीं आने दी। अंसारी को पश्चिम बंगाल कैडर मिला था। पढ़िए संघर्ष की अनूठी कहानी...
| Published : Jun 09 2020, 04:17 PM IST / Updated: Jun 09 2020, 04:23 PM IST
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अंसार शेख जिला परिषद के स्कूल में पढ़ते थे। अंसार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वे स्कूल में मिलने वाले मिड डे मील से पेट भरते थे। कई बार इस भोजन में कीड़े-मकोड़े भी निकलते थे, लेकिन वे उसे फेंकते नहीं थे। क्योंकि फिर उन्हें भूखों रहना पड़ता। अंसार ने 12वीं में 91 फीसदी अंक हासिल किए थे। तब उन्हें काफी खुशी हुई थी।
अंसार एक बार ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर से मिले। अंसार ने उनसे पूछा कि अफसर कैसे बनते हैं? वे अफसर हेल्पफुल आदमी थे। उन्होंने अंसारी को कई एग्जाम के बारे में बताया। यूपीएसएसी के एग्जाम के बारे में भी जानकारी दी। अंसारी ने तभी सोच लिया था कि उन्हें IAS बनना है।
अंसार शेख ने बताया था कि 12वीं की पढ़ाई के बाद जब वे यूपीएससी एग्जाम की तैयारी कर रहे थे, तब उनके पास पैसे नहीं थे। ऐसे में वे एक होटल में वेटर बन गए। वे सुबह 8 से रात 11 बजे तक होटल में खाना सर्व करने से लेकर पोछा मारने तक का काम करते थे। फिर बचे समय में पढ़ाई।
अंसार बताते हैं कि उनकी देश में 371वीं रैंक आई थी। दोस्तों ने जब पार्टी मांगी, तो उनके पास पैसे नहीं थे। तब एक दोस्त ने उनकी मदद की। अंसार की बहनों की शादी हो चुकी थी। वहीं छोटा भाई छठवीं की पढ़ाई के बाद चाचा के गैराज में काम करने लगा था। अंसार जब कॉलेज में एडमिशन लेने पहुंचे, तो तब फीस के पैसे नहीं थे। तब छोटे भाई ने अपने वेतन में से 6000 रुपए उन्हें भेजे थे। अंसार की पढ़ाई मराठी माध्यम से हुई थी। इसलिए वे अंग्रेजी से डरते थे, लेकिन हार नहीं मानी।
अंसार के पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने एक कोचिंग संचालक को अपनी परेशानी बताई। कोचिंग ने उनकी फीस माफ कर दी।
अंसार के पास किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए वे दोस्तों के नोट्स और किताबें लेकर उनकी फोटोकॉपी करा लेते थे। कई बार उन्हें केवल बड़ा पाव खाकर गुजारा करना पड़ा। लेकिन हिम्मत नहीं हारी और सफलता पाई।