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कोरोना ने छीना माता-पिता का साया, बेटा बोला-जो फूल उनके वेलकम के लिए रखे थे, वह चिता पर चढ़ाने पड़े
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दरअसल, 13 दिन पहले संदीप के पिता दत्तात्रेय ज्योतिवा की संक्रमण के चलते मौत हो गई थी। वह किसी तरह अपने आप को संभालते हुए बापू की तेरहवीं कर रहा था। तभी हॉस्पिटल से मां का फोन आया कि मेरी छुट्टी हो रही है बेटा तू लेने आ जा। मां की बात सुनकर जब बेटा सारे गम भूलकर अस्पताल पहुंचा तो कुछ देर बाद मां ने भी दम तोड़ दिया। बेटा संदीप का कहना है कि जब मां ने फोन पर बात की थी तो वह बिल्कुल ठीक थीं। मैं जब हॉस्पिटल पहुंचा तो डॉक्टर ने मिलने से भी इनकार कर दिया।
संदीप ने कहा-पिता की मौत के बाद मैं टूट चुका था, फिर किसी तरह खुद को संभाला और पिता की तेरहवीं की तैयारी में लग या। मैंने बाजार से फूल लाकर में के स्वागत के लिए रखे थे, सोचा था जब वह कोरोना को हराकर घर लौटेंगी तो उनका इन फूलों से वेलकम करूंगा। लेकिन वही फूल उनके अंतिम संस्कार में चढ़ाने पड़े। (तस्वीर में मृतक महिला)
बता दें कि 38 साल के संदीप कस्बों अपने परिवार के साथ रहता है, वह फेरी लगाकर कपड़े बेचकर परिवार का पेट पालते हैं। जब माता-पिता की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी तो संदीप के दो बच्चे भी संक्रमित हुए थे। बच्चों में संक्रमण ज्यादा नहीं फैला था। इसलिए उनको 10 दिन तक क्वारैंटाइन रखा गया। इसके बाद वे ठीक हो गए। लेकिन, माता-पिता कोरोना की जंग हार गए और 13 दिन के अंदर दुनिया छोड़कर चले गए। (तस्वीर में मृतक युवक)
वहीं इस मामले में अस्पातल के डॉक्टर सुंदर कुलकर्णी ने कहा-हमने महिला को 17 जुलाई को डिस्चार्ज किया जाना था। लेकिन इस बीच कार्डिएक अरेस्ट ने उनकी जान ले ली। उन्हें बचाने की हमने हरसंभव प्रयास किया। महिला के बेटे ने हॉस्पिटल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है। संदीप का कहना है कि जब मैंने मां का पोस्टमॉर्टम करवाना चाहा तो डॉक्टरों ने कहा कि कोरोना पेशेंट का पीएम नहीं होता है। मुझे एक बार भी मां से नहीं मिलने दिया गया।