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बारिश की तबाही की मार्मिक तस्वीर, जवानों ने मलबे से निकला 7 माह के मासूम का शव तो आ गए आंसू
रायगढ़. महाराष्ट्र में पिछले एक सप्ताह से भारी बारिश का कहर जारी है। प्रदश के करीब 21 जिलों में हाहाकार मचा हुआ है। लेकिन सबसे बुरी हालत रायगढ़ जिले के तलीये गांव की है। जहां लैंडस्लाइड में दर्जनों घर जमींदोज हो गए, चार दिन से यहां मलबे के नीचे लाशों के निकालने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अब तक रेस्क्यू टीम इस गांव के 53 लोगों के शव निकाल चुकी है। लेकिन शनिवार को जैसे ही एनडीआरएफ टीम के जवानों ने एक सात माह के बच्चे का शव एक चट्टान के नीचे से निकाला तो उनकी आंखों में भी आंसू आ गए। जिसने अभी ठीक से दुनिया देखी भी नहीं थी कि वह कुदरत के कहर का शिकार हो गया। शायद इसिलए लोग कहते हैं कि छोटे शव सबसे ज्यादा भारी होते हैं, क्योंकि उनको उठाते वक्त आंखों से आंसू छलक जाते हैं। पढ़िए कैसे-अपनों को खोने के बाद पांच दिन से बिलख रहे हैं परिजन...
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जिस सात महीन के बच्चे का शव जवानों ने मलबे के नीचे से निकाला है, उसके माता-पिता का अभी कोई पता नहीं चला है। वह जिंदा भी हैं या फिर इस कुदरत के कहर में वह भी मारे गए। जवानों के मासूम का शव लिए हाथ कांप रहे थे, कैसे बच्चे की जिंदगी का सफर जन्म यूं खत्म हो गया। गांव के सरपंच संपत चाडेकर भी बच्चे का शव देखकर विचलित हो गए। उनका कहना है कि जैसे-जैसे लोगों के शव निकलेंगे गांव में और चीखें सुनाई देंगी। इसलिए अब हम बचे हुए 32 शवों को नहीं निकालने देंगे। इसिलए गांव के लोगों ने मीटिंग करके तय किया है कि जिस जगह पर यह दर्दनाक हादसा हुआ है, वहीं उनका सांकेतिक अंतिम संस्कार किया जाएगा।
दरअसल, तालिये गांव में बारिश इस तरह कहर बनकर टूटी है कि हर तरफ मौत की चीखे सुनाई दे रही हैं। 173 घर वाले इस गांव में करीब 90 लोग मलबे में दब गए थे, जिसमें से एनडीआरएफ टीम अब तक 53 के शव सोमवार सुबह निकाल चुकी है। ग्रामीणों के अनुसार और जिला प्रशासन के मुताबिक, अभी 32 शव और मलबे में दबे हैं, जिनको निकाले का काम जारी है। जिसमें कई महिलाओं और मासूम बच्चे शामिल हैं।
वहीं इस मामले पर जिलाधिकारी निधि चौधरी का कहना है कि जिला डिजास्टर मैनेजमेंट टीम आखिरी शव के मिलने तक ऑपरेशन को जारी रखना चाहती है। लेकिन गांव वाले नहीं चाहते हैं कि अब और शव मलबे से निकाले जाएं। उनका कहना है कि अब ऑपरेशन रोक दिया जाए और बाकी बचे 32 लोगों को मृत घोषित किया जाए। हम उन्हें समझाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है। हम मजबूर हैं, पर उनकी भावनाओं को ठेस भी नहीं पहुंचाना चाहते हैं।
तस्वीर में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि लोग किस तरह से अपनों को खोने के बाद बिलख रहे हैं। उनका पिछले पांच दिन से इसी तरह रो-रोकर बुरा हाल है। पूरे गांव में किसी के घर कोई चूल्हा तक नहीं जला है। जिला प्रशासन की मदद से गांव के लोगों तक खाने का इंतजाम किया जा रहा है।
हालांकि, चीख पुकार और शवों के बीच एक अच्छी खबर भी आई। जहां सेना के जवानों ने मलबे के नीचे फंसी एक बुजुर्ग महिला को सही सलामत बाहर निकाला।