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भंडारा हादसे की भयावह तस्वीर: नन्हें शरीर भभक रहे थे, काले पड़ चुके थे मासूमों के चेहरे..कांप गए लोग
भंडाला (महाराष्ट्र). शुक्रवार- शनिवार की दरमियानी रात भंडारा के जिला अस्पताल के हादसे ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है। उस भयानक मंजर को जिसने अपनी आंखों से देखा वह पूरी रात सो नहीं सका। सुरक्षा गार्ड से लेकर अस्पताल के डॉक्टर और नर्स सब यही कह रहे हैं कि हमारे सामने 10 नवजात बच्चों की जिंदा जलकर मौत हो गई और चाहकर भी मासूमों को नहीं बचा सके। चश्मदीद बोले कि उन्हें पूरी जिंदगी अफसोस रहेगा कि वह नवजातों को नहीं बचा पाए। पढ़िए चश्मदीदों की आपबीती जिस जान दिल कांप जाएगा...
| Published : Jan 10 2021, 04:52 PM IST / Updated: Jan 10 2021, 05:14 PM IST
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दरअसल, जिस वक्त यह भयानक हदासा हुआ उस दौरान भंडारा जिला अस्पताल में सुरक्षाकर्मी गौरव रहपड़े ड्यूटी पर तैनात थे। उसने दैनिक भास्कर के रिपोर्टर को बयां की हादसे की आपबीती। गौरव ने बताया कि जैसे ही मुझे पता चला कि न्यू बोर्न केयर यूनिट में आग लगी है तो मैं दौड़ते हुए वहां पहुंचा तो देखा तो बच्चों का वार्ड धुएं से भरा हुआ था। हम लोग चाहकर भी अंदर नहीं जा पा रहे थे। क्योंकि सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और दम घुट रहा था। आग की वजह से बिजली कट चुकी थी और पूरे यूनिट में सिर्फ काला धुआं ही था। किसी तरह से दरवाजों और खिड़की को तोड़करधुंए के निकलने की जगह बनाई।
चश्मदीद ने बताया कि जब अंदर पहुंचे तो वहां का भयानक सीन बेहद डरावना था। बच्चों के शरीर बुरी तरह से गर्म हो चुके थे। उनके शरीर पर काले निशान पड़ गए थे। नन्हें शरीर इतने गर्म हो चुके थे कि उनको हाथों से महसूस किया जा सकता था। किसी तरह हम 7 बच्चों को बचाने में कामयाब हुआ और उनको दूसरे वार्ड में शिपट किया। लेकिन उस दौरान मासूमों की आंखे बेहद डरावनी थी, जिसे में पूरी जिंदगी नहीं भूल सकता हूं। (न्यू बोर्न केयर यूनिट, जो आग के बाद काली पड़ गई)
किसी तरह हम उन 10 बच्चों के पास पहुंचे जो इस हादसे में मारे जा चुके थे। उनके चेहरे पूरी तरह से काले पड़ चुके थे। जिन्हें देखने में भी डर लग रहा था, जो जब आग की भयानक लपटें मासूमों पर पड़ी होंगी तो क्या हाल हुआ होगा। जैसे तैसे कपड़ों में लपेट कर उन बच्चों को वहां से हटाया गया और बच्चों के शव परिजनों तक पहुंचाए गए। न्यू बॉर्न यूनिट का वह भयावह काले धुंए से भरा मंजर याद करते हुए गौरव की आंखें भी नम हो जाती हैं। (हादसे का चश्मदीद गौरव रहपड़े)
इस हादसे में मारे जाने वाले मासूमों की उम्र एक दिन से लेकर 3 महीने तक थी। बताया जाता है कि बच्चों के वार्ड में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है। तो वहीं कुछ लोग प्रशासन की लापरवाही बता रहे हैं। खैर जो भी हुआ हो, लेकिन इन दस माओं की कोख उजाड़ने का कोई तो जिम्मेदार होगा। जो मासूमों को याद कर बिलख रही हैं। इनका दुख देखकर कई लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े। आग इतनी भयानक थी कि मासूम यूनिट में सामने जलते रहे और महिलाएं चीखती-चिल्लाती रहीं।
इस दर्दनाक हादसे की वजह से जिले के करीब 10 गांवों में अब मातम पसरा हुआ है। इनके घर चूल्हे नहीं जल रहे हैं, अपनी संतान खो देने के बाद परिजन सिर्फ चीख रहे हैं। जिन मांओं का बच्चा चला गया, उनका दर्द बयां करने के लिए शब्द तक नहीं हैं। आखिर किस मन से उन्हें कोई दिलासा दे कि 9 महीनों की तुम्हारी कोख 9 मिनट में उजड़ गई।