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यहां हर घंटे एक व्यक्ति हो रहा कोरोना संक्रमित, अगर और घरों में फैला तो रोकना हो जाएगा मुश्किल
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धारावी में बड़ी संख्या में कामगार और मजदूर रहते हैं। यहां दस हजार से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं। यहां घर-घर में जींस, रेडीमेड कपड़े, लेबलिंग, प्लास्टिक और लैदर का होलसेल काम होता है।
धारावी को दुनिया का सबसे बड़ा स्लम कहा जाता है। यह 2.6 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां 15 लाख लोग रहते हैं।
यहां दस बाई दस फीट के कमरे में पूरा एक परिवार रहता है। इतना ही नहीं यहां 73% लोगों के घर में पर्सनल टॉयलेट नहीं है। ये लोग पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करते हैं।
धारावी में एक पब्लिग टॉयलेट को रोजाना करीब 60 से 70 लोग इस्तेमाल करते हैं। इसलिए यहां पर कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने के ज्यादा संभावना है।
धारावी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना काफी मुश्किल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां पर लोगों के कमरे इतने छोटे हैं कि बस सोने के लिए अंदर जाते हैं।
धारावी में दिनभर कमरों में रहना मुश्किल है, इसलिए सुबह होते ही लोग बाहर गलियों में निकल आते हैं।
धारावी में सायन हॉस्पिटल के एक 20 बेड के वार्ड को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। लेकिन यहां भी हालत खराब है। यहां मरीज के भर्ती होने के तीन या चार दिन बाद सैंपल लिया जाता है। सैंपल लेने के तीन दिन बाद रिपोर्ट आती है।
धारावी में 15 अप्रैल को मोहम्मद तालिब शेख की कोरोना से मौत हो गई। मौत के वक्त इनके बेटे घर पर नहीं थे। एक बेटा सउदी और दूसरा यूपी में रहता है।
स्थानीय लोगों ने बताया, तालिब शेख को लक्षण आने के बाद 7 अप्रैल को सायन हॉस्पिटल में क्वारंटीन किया गया। लेकिन यहां पर तीन दिन बाद उनका टेस्ट हुआ। तालिब शेख किडनी और लो बीपी के मरीज थे। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा उनके पास टेस्टिंग किट नहीं है। आएगी तब टेस्ट करेंगे। इसके बाद उन्हें एक दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया।
दस लाख आबादी वाले धारावी को 7 वॉर्ड में बांटा गया है। इसी के आधार पर यहां पर डॉक्टर्स की अलग-अलग टीम बनाकर कोरोना से लड़ने की योजना बनाई गई है।
यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि अगर धारावी के लिए पहले से प्रशासन सतर्क होता तो शायद हालात संभले हुए होते। लोग डरे हुए हैं। हम लोग बिना पैसे के हैं और साथ ही दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि बीएमसी की तरफ से 500 पैकेट खाने के दिए जाते हैं। जिसमें चावल होते हैं। वह कहते हैं कि एक मजदूर का उस चावल से क्या होगा? दूसरा यह भी कि इलाके में डेढ़ लाख लोग रहते हैं। डेढ़ लाख में से बीएमसी सिर्फ 500 लोगों को मुट्ठी भर चावल दे रही है।
धारावी में कोरोना महामारी की गंभीरता पर बीएमसी ने खुद कहा था कि अगर धारावी में संक्रमण रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया तो समस्या बढ़ सकती है।
धारावी में लॉकडाउन का सख्ती से पालन हो सके, इसलिए पुलिस पूरे इलाके की ड्रोन से निगरानी कर रही है।
पुलिस ने क्वॉरंटीन किए गए इलाकों के साथ तंग गलियों में भी ड्रोन तैनात किए हैं। जैसे ही किसी जगह पर लोग घर से बाहर दिखते हैं वैसे ही ड्रोन में लगे स्पीकर के जरिए उनको चेतावनी दी जाती है।
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए यहां पर बीएमसी को आर्टिफिशियल शौचालय की यहां बड़े पैमाने पर व्यवस्था करनी होगी। धारावी में 300 से ज्यादा घरों और करीब 50 दुकानों को सील किया जा चुका है। कई ईलाकों को क्वारंटीन किया गया है। इसके बावजूद भी लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं।
जब धारावी में पहला कोरोना संक्रमण का मरीज मिला था तब सरकार ने कहा था कि मुबंई के धारावी में एक पॉजिटिव केस पाया गया है, जिसके बाद वहां पर 300 फ्लैट और आसपास की 90 दुकानों को सील कर दिया गया है। उस पर्टिकुलर कॉलोनी में रह रहे परिवार और भवन के सभी निवासियों का सैंपल कलेक्शन चल रहा है। प्रोटोकॉल के अनुसार कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जा रही है।
धारावी की गलियां काफी संकरी हैं। लोगों की भीड़ लगी रहती है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना यहां पर दूसरी जगहों पर तुलना में मुश्किल है
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए यहां पर बीएमसी को आर्टिफिशियल शौचालय की यहां बड़े पैमाने पर व्यवस्था करनी होगी।
धारावी में लोगों के खाने के लिए प्रशासन ने व्यवस्था तो की है, लेकिन लोग उसे नाकाफी मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन यहां के लोगों का पूरा ध्यान नहीं रख रही है।