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56 साल पहले इस महिला वैज्ञानिक ने की थी कोरोना वायरस की खोज, 16 की उम्र में ही छोड़ दिया था स्कूल
नई दिल्ली. कोविड-19 से दुनियाभर के तमाम शक्तिशाली देशों का हाल बेहाल हो चुका है। इस खतरनाक वायरस से अब तक आठ करोड़ 38 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 18 लाख से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कोविड-19 एक नया वायरस है, लेकिन यह कोरोना वायरस का ही एक प्रकार है, जो काफी समय से अस्तित्व में है। तकरीबन 56 साल पहले इस वायरस की खोज बतौर लैब टेक्नीशियन अपना करियर शुरू करने वाली एक महिला ने की थी। उस महिला का नाम था जून अलमेडा। उनका जन्म वर्ष 1930 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर के उत्तर-पूर्व में स्थित एक बस्ती में रहने वाले बेहद साधारण परिवार में हुआ था।
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जून अलमेडा के पिता एक बस ड्राइवर थे। बताया जाता है कि जून अलमेडा ने महज 16 साल की उम्र में ही स्कूल छोड़ दिया था, लेकिन फिर भी वह अपनी लगन और मेहनत से एक मशहूर वायरोलॉजिस्ट बनीं।
स्कूल छोड़ने के बाद जून ने स्कॉटलैंड के सबसे बड़े शहर ग्लासगो की एक लैब (प्रयोगशाला) में बतौर तकनीशियन नौकरी की शुरुआत की थी। हालांकि कुछ दिन काम करने के बाद वह नई संभावनाओं की तलाश में लंदन चली गईं। साल 1954 में उन्होंने एनरीके अलमेडा नाम के शख्स से शादी कर ली, जो कि वेनेजुएला के एक कलाकार थे।
1954 में ही अलमेडा को ओंटारियो कैंसर इंस्टीट्यूट में इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी तकनीशियन के रूप में काम पर रखा गया, जहां उन्होंने करीब 10 साल तक काम किया। साल 1963 में, वह 'साइंस' नामक पत्रिका में छपे एक लेख के तीन लेखकों में से एक थीं, जिसमें उन्होंने कैंसर के रोगियों के खून में वायरस जैसे कणों की पहचान की थी।
कुछ दिनों बाद जून अलमेडा ने डॉ. डेविड टायरेल के साथ रिसर्च का काम शुरू किया।डॉ टायरेल उन दिनों सामान्य सर्दी-जुकाम पर शोध कर रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉ. टायरेल ने जुकाम के दौरान नाक से बहने वाले तरल के कई नमूने एकत्र किए थे, जिसमें लगभग सभी नमूनों में सामान्य सर्दी-जुकाम के दौरान पाए जाने वाले वायरस दिख रहे थे, एक को छोड़कर, क्योंकि वो बाकी सबसे अलग था।
डॉ. टायरेल ने एकत्र किए हुए उन नमूनों को जांच के लिए जून अलमेडा के पास भेज दिया। वहां उन्होंने परीक्षण के बाद बताया कि ये वायरस इनफ्लूएंजा की तरह दिखता है, लेकिन उससे अलग है। दरअसल, इसी वायरस को आज कोरोना वायरस के तौर पर जाना जाता है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वायरस की ऊंची-नीची बनावट को देखते हुए ही इस वायरस का नाम कोरोना वायरस रखा गया था।