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इतिहास में 6 फरवरी: भारत के 'रईसों' में गिने जाते थे पंडितजी के पिता मोतीलाल, ऐसे जन्मा 'नेहरू' शब्द

6 फरवरी, 1931 इतिहास के पन्नों में खास अहमियत रखती है। इस दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता और इंदिरा गांधी के दादा मोतीलाल नेहरू का निधन हुआ था। मोतीलाल नेहरू स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती कार्यकर्ताओं में से एक थे। 'जलियांवाला बाग कांड' के बाद 1919 में अमृतसर में हुई बैठक में वे पहली बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इसके बाद 1928 में कोलकाता बैठक में उन्हें दुबारा अध्यक्ष चुना गया। मोतीलाल नेहरू 1920 में महात्मा गांधी को सुनकर इतने प्रभावित हुए कि वकालात छोड़कर आजादी की लड़ाई में कूद गए। जब भी कांग्रेस पर संकट आता, मोतीलाल नेहरू उसे आर्थिक सहायता देते थे। मोतीलाल के बारे में कहा जाता है कि वे अपने समय के रईस थे। महंगे वकील थे और महंगी चीजों के शौकीन भी। आइए पढ़ते हैं कुछ किस्से...

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Asianet News Hindi
Published : Feb 05 2021, 11:59 PM IST
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एक किस्सा...
नेहरू फैमिली को लेकर अकसर चर्चाएं होती रही हैं। पंडित नेहरू ने अपनी बायोग्राफी के एक चैप्टर Descent From Kashmir में अपने वंशजों का खुलासा किया है। इसमें नेहरू फैमिली के सबसे पुराने सदस्य राज कौल का जिक्र किया है। वे कश्मीरी पंडित थे। मुगल बादशाह फर्रुखसियर जब कश्मीर के दौरे पर आए, तो राज कौल से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें दिल्ली बुला लिया। राज कौल दिल्ली में बादशाह की तरह रहे। वे एक नहर किनारे रहते थे, इसलिए उन्हें नेहरू कहने लगे। आगे की पीढ़ी ने कौल हटाकर नेहरू लिखना शुरू कर दिया। मुगल बादशाह फर्रुखसियर 1713 से 19 तक ही दिल्ली का शासक रहा।

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दूसरा किस्सा
मोतीलाल नेहरू भारतीय राजनीति का अहम हिस्सा रहे हैं। इनका जन्म 6 मई, 1861 को यूपी के आगरा में हुआ था। इनके पिता का नाम गंगाधर था। मोतीलाल नेहरू पश्चिमी कल्चर में शिक्षा पाने वाले गिने-चुने भारतीयों में से एक थे। इनकी पत्नी का नाम स्वरूप रानी था। जवाहरलाल नेहरू इनके एक मात्र पुत्र थे। इनकी दो बेटियां थी। पहली विजयलक्ष्मी पंडित और दूसरी कृष्णा हठीसिंह।

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तीसरा किस्सा
मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद में आलीशान घर बनवाया था। इसका नाम आनंद भवन रखा था। पहले यह घर सर सैय्यद अहमद खां का था। इसका नाम स्वराज भवन था। मोतीलाल नेहरू ने इसे 19000 रुपए में खरीद लिया था। हालांकि अब यह म्यूजियम में बदल गया है। गांधीजी भी 1919 में इस भवन में आए थे। यही से उन्होंने 1920 में असहयोग आंदोलन की आधारशिला रखी थी। बताते हैं कि अकबर इलाहाबादी ने इस भवन का नाम आनंद भवन रखा था। 

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चौथा किस्सा
 मोतीलाल नेहरू के पिता दिल्ली में पुलिस अधिकारी थे। लेकिन 1857 की क्रांति में अंग्रेजों ने इनकी सारी प्रॉपर्टी छीन ली थी। मोतीलाल नेहरू ने दो शादियां की थीं। पहली पत्नी की मौत के बाद दूसरी शादी की।

पंडितजी ने अपनी किताबों में पिता की आदतों का जिक्र किया है। मोतीलाल नेहरू अपनी मेज पर दो पेन रखते थे। एक बार जवाहरलाल नेहरू ने एक पेन का यूज कर लिया। इस बात पर उनकी खूब पिटाई हुई। जवाहरलाल नेहरू अपने पिता से प्यार भी करते थे और बहुत डरते भी थे।

(यह तस्वीर 1894 में खींच गई थी। मां स्वरूप रानी और मोतीलाल नेहरू के साथ जवाहरलाल नेहरू)

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पांचवां किस्सा
बताते हैं कि जब जवाहरलाल नेहरू के घर इंदिरा गांधी का जन्म हुआ, तब मोतीलाल नेहरू बड़े दु:खी हुए थे। उन्हें तब पोता चाहिए था। यह अलग बात रही कि इंदिरा गांधी ने इस परिवार को और ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

आपको बताते हैं कि मोतीलाल नेहरू की गिनती देश के सबसे धनी में लोगों में होती थी। वे सबसे महंगे वकील भी माने जाते थे। भारत के पूर्व न्यायाधीश पी सद्शिवम ने इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट के एक जर्नल में लिखा था कि मोतीलाल नेहरू विलक्षण वकील थे। अंग्रेज जज उनकी बातचीत और मुकदमों पर बहस करने के तौर-तरीकों से बहुत प्रभावित होते थे।


(जवाहरलाल नेहरू जब कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे, तब मोतीलाल नेहरू उनसे मिलने गए थे। जवाहरलाल नेहरू की गोद में छोटी बहन विजयालक्ष्मी पंडित हैं)

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छठवां किस्सा
जब अंग्रेज हाईकोर्ट आगरा ले आए, तब उनके बड़े भाई नंदलाल ने उन्हें कैंब्रिज पढ़ने भेजा। नंदलाल खुद भी नामचीच वकील थे। मोतीलाल ने कैंब्रिज में टॉप किया था। इसके बाद भारत लौटकर कानपुर में  ट्रेनी वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की। कहते हैं कि जब मोतीलाल नेहरू किसी मुकदमे के सिलसिल में इंग्लैंड जाते थे, तो महंगे होटलों में ठहरते थे।

मोतीलाल नेहरू की बेटी कृष्णा ने अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है कि उनका परिवार तब पश्चिमी कल्चर में रच-बस चुका था। जब भारत में कोई डायनिंग टेबल के बारे में जानता तक नहीं था, तब उनके घर में महंगी क्रॉकरीज और छुरी-कांटे यूज होते थे। उनके घर में आने वाली आया तक का अंग्रेजी आती थी।

(बाईं तरफ से स्वरूप रानी, मोतीलाल नेहरू, कमला नेहरू, मां के पीछे खड़े जवाहरलाल, उनके बगल में हैं विजया लक्ष्मी पंडित, कृष्णा कुमारी, इंदिरा और विजयालक्ष्मी के पति रंजीत सीताराम पंडित, फोटो: नेहरू मेमोरियल म्यूजियम ऐंड लाइब्रेरी)

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सातवां किस्सा
भारत में जब पहली साइकिल आई थी, तब मोतीलाल नेहरू ने ही उसे खरीदा था।
मोतीलाल 1918 से पहले पूरी तरह अंग्रेजी कल्चर में रचे-बसे थे। लेकिन महात्मा गांधी के नेतृत्व में विदेशी कपड़ों को त्याग दिया था।

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