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जन्म से नहीं दोनों हाथ, लेकिन कड़ी मेहनत से मजदूर के बेटे ने हाई स्कूल में मारी बाजी, लाया 86% अंक

नई दिल्ली. कहते हैं कि सफलता किसी की मोहताज नहीं होती। कड़ी मेहनत करने वाले हर बाधा को पार कर अपना मुकाम हासिल कर ही लेते हैं। ऐसा ही कुछ अब्दुल माजिद ने कर दिखाया। माजिद के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन प्रेरणा, सीखने के प्रति चाह और मेहनत की बदौलत उन्होंने असम हाईस्कूल परीक्षा में 86% अंक हासिल किए। 16 साल के माजिद के पिता एक मजदूर हैं। माजिद ने यह साबित कर दिया कि वे किसी भी सपने को पूरा कर सकते हैं। 

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Asianet News Hindi
Published : Jun 09 2020, 02:08 PM IST| Updated : Jun 10 2020, 10:45 AM IST
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माजिद कहते हैं कि उनके पास बहुत कुछ नहीं है। उनके पिता एक कंपनी में काम करते हैं। जहां वे ट्रकों में सामान लोड और खाली करते हैं। हमेशा पैसों की तंगी रहती है। लेकिन मेरे माता पिता ने कभी मुझे पढ़ाई छोड़ने के लिए नहीं कहा। 

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उन्होंने बताया, उनकी मां सबसे कहती है कि मेरे बेटे ने सिर्फ लिखना ही नहीं सीखा, बल्कि वह एक दिन टॉप करेगा। वे मेरी सबसे बड़ीं समर्थक हैं। 

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असम के चंगसारी में रहने माजिद ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि उनकी मां ने 3 साल की उम्र से उसे पेंसिल पकड़ना और लिखना सिखाया। 

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माजिद ने बताया कि वे अपना पेपर खुद लिखते हैं। लेकिन उन्हें 3 घंटे से ज्यादा समय लगता है। इसलिए स्कूल ने उन्हें चार घंटे का समय दिया था। उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने अरेबिक का एग्जाम 3 घंटे में पूरा कर लिया था। लेकिन गणित के पेपर में उन्हें चार घंटे का समय लगा। 

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माजिद के लिए स्कूल ने अलग से प्रबंध किए थे। उनके लिए अलग कमरे की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा उनके पेज पलटने और कॉपी बांधने के लिए एक सहयोगी भी दिया गया था। 

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वे स्टीफन हॉकिंग को अपना आइडल मानते हैं। माजिद कहते हैं कि मैंने हॉकिंग का एक वीडियो देखा था। इसमें मैंने देखा कि वे हमारी तरह बोल और चल नहीं सकते। मुझे लगा कि मेरे पास उनसे बहुत कुछ है। मुझे साइंस पसंद हैं। 
 

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माजिद बताते हैं कि वे 11वीं में फिजिक्स केमिस्ट्री और बायोलॉजी लेना चाहता हूं। मुझे पता है कि लोगों ने मुझे बताया कि मैं डॉक्टर नहीं बन सकता। उन्होंने मुझे बताया कि मैं लिख नहीं सकता। लेकिन मैं इसके बाद भी ट्राई करना चाहता हूं।

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