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'बोलने के लिए मुंह नहीं बचा,' उस एसिड सर्वाइवर की कहानी, जो पहले डराती है फिर हिम्मत से लड़ना सिखाती है
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2005 में दिल्ली के खान मार्केट में लक्ष्मी के ऊपर हुए एसिड अटैक ने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी थी। मात्र 15 साल की उम्र में लक्ष्मी ने जो झेला, इंसाफ के लिए कई सालों तक जिस तरह कोर्ट के चक्कर काटे, उसे देख हर कोई उनकी हिम्मत की तारीफ करता है। आज आप को बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी ऐसी बातें जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
साल 2005 में 15 साल की लक्ष्मी पर 32 साल के गुड्डू ने 2 लोगों के साथ मिलकर एसिड हमला कर दिया था। कारण, लक्ष्मी ने उससे शादी से इंकार कर दिया था। गुड्डू, लक्ष्मी के बड़े भाई का दोस्त था। घर आने-जाने में उसे लक्ष्मी से एकतरफा प्यार हो गया था।
मिडिल क्लास से ताल्लुक रखने वाली लक्ष्मी के पिता घर-घर खाना बनाते थे जबकि उनकी मां हाउस वाइफ हैं। बीमारी के कारण लक्ष्मी के पिता और भाई की मौत हो गई।
हमले के 3 महीने तक लक्ष्मी हॉस्पिटल में एडमिट रही। उन्होंने अपना चेहरा तक नहीं देखा, ना ही अपने चेहरे पर हाथ रखा। परिवार के मोटिवेशन के बाद वो धीरे-धीरे नॉर्मल होने की कोशिश करने लगी। साथ ही उन्होंने अपने अपराधियों के खिलाफ कोर्ट में केस लड़ा, जिसके बाद आरोपियों की सजा दी गई।
अपने पार्टनर आलोक दीक्षित से लक्ष्मी की मुलाकात अपने अभियान के दौरान हुई थी। इस बीच दोनों में प्यार हुआ और दोनों ने बिना शादी के साथ रहने का फैसला किया। दोनों ने शादी नहीं की। दोनों की एक बेटी पीहू भी है। बेटी के जन्म के कुछ ही दिनों बाद दोनों अलग हो गए थे।
कई महीनों के बाद उन्होंने स्टॉप एसिड अटैक नाम से अभियान चलाया। इसके बाद उन्होंने भारत में एसिड के बिकने पर रोक लगाने की मांग की। अपने इस अभियान के लिए उन्होंने कई अवार्ड्स जीते। साथ ही भारत में एसिड खरीदने को लेकर कई नियम भी बनाए गए।
जब लक्ष्मी ने बेटी को जन्म दिया, तो एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वो काफी डर गई थीं। उन्हें डर था कि कहीं उनकी बेटी उनसे डरने ना लगे।
आज लक्ष्मी कई इवेंट्स में इंडिया को रिप्रेसेंट कर चुकी हैं। लेकिन उन्हें आज भी शिकायत है कि उनके पास कोई परमानेंट जॉब नहीं है। साथ ही आज भी वो रेंट वाले घर में रह रही हैं।