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Aero India 2021: 2024 से IAF को मिलने लगेंगे तेजस, जानिए कितनी होगी लड़ाकू विमान की कीमत
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प्रोजेक्ट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस एमके -1 ए के घटकों की कीमतों का खुलासा करते हुए, माधवन ने कहा कि हाल ही में सरकार द्वारा प्रदान किए गए अनुबंध की कुल कीमत का आधा हिस्सा ज्यादातर पुर्जों, कर घटक और जमीन के उपकरणों से बना है जो 22,000 करोड़ रुपये में आता है। 83 LCA तेजस के लिए वास्तविक कीमत 25,000 करोड़ रुपए है।
एलसीए तेजस एमके-1 ए प्रोजेक्ट के तहत कीमत की विभिन्न घटकों का खुलासा करते हुए माधवन ने कहा, 48 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे में इसकी डिजाइन और डेवलेपमेंट के लिए करीब 2500 करोड़ रुपए एयरनोटिक्स डेवलेपमेंट एजेंसी को दिए जाएंगे और 2250 करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा के विनियम पर खर्च होंगे।
उन्होंने कहा, तेजस एमके-1 की कीमत 309 करोड़ रुपए होगी। जबकि इसके ट्रेनी विमान की कीमत 288 करोड़ रुपए होगी। 8 ट्र्रेनी तेजस विमानों में क्या संसोधन होना है, उसे लेकर हाल ही में वायुसेना ने जानकारी दी है। तेजस के संशोधित प्रारूप में हवा में ईंधन भरने की क्षमता को जोड़ा गया है
कब मिलेंगे विमान?
वायुसेना को पहला तेजस विमान 36 महीने के अंतर मिल जाएगा। जबकि पहला विमान मिलने के 6 साल के अंदर सभी विमान मिल जाएंगे।
आत्मनिर्भर भारत
460 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का एक पारिस्थितिकी तंत्र इस परियोजना के लिए साथ आया है। यह संख्या साल के अंत तक बढ़कर 560-600 तक पहुंचने की संभावना है। कुल परियोजना लागत में से, 6,000 करोड़ रुपए MSMEs पारिस्थितिकी तंत्र में जाएंगे जबकि 3,000 करोड़ रुपए अन्य छोटी घरेलू कंपनियों में जाएंगे।
तेजस का निर्यात
माधवन ने कहा, कई देशों ने तेजस को लेकर अपनी दिलचस्पी दिखाई है, इनमें से ज्यादातर एशिया के देश हैं। हालांकि, अभी ऑर्डर मिलना बाकी है। उन्होंने बताया कि ये ऑर्डर सरकार और सरकार के बीच चर्चा के बाद फाइनल होंगे। उन्होंने कहा, एचएएल ने इसके लिए तैयारी भी कर ली है, ताकि तेजस का निर्यात किया जा सके।
LCA Tejas Mk-2
महत्वाकांक्षी तेजस एमके -2 की डिजाइन और विकास चल रहा है, जिसका अगले साल अगस्त तक पूरा होने की संभावना है और इसकी पहली उड़ान दिसंबर 2023 में अस्थायी रूप से तय की गई है।
HTT-40 एयरक्राफ्ट
4 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने एचएएल को 70 हिंदुस्तान टर्बो ट्रेनर 40 बेसिक ट्रेनर एयरक्रॉफ्ट के लिए प्रस्ताव दिया है। अब उत्पादन को लेकर अनुबंध की ओर औपचारिक प्रक्रिया शुरू होनी है। इसके तहत डील के दो साल के भीतर वितरण शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
इन 70 एयरक्रॉफ्ट के बाद 36 और ट्रेनी विमानों का ऑर्डर दिया जाना है। शुरुआत में डिजाइन बेंगलुरु कॉम्प्लेक्स में तैयार होगी, वहीं, नाशिक में प्रोडक्शन होगा।
एचएएल ड्रीम प्रोजेक्ट : सेमी स्टेल्थ ड्रोन
इस एयर शो में भारत का पहला सेमी स्टेल्थ ड्रोन का भी प्रदर्शन किया जा रहा है। ये भविष्य में आसमानी जंग का सबसे प्रमुख हथियार होगा। इस ड्र्रोन को वॉरियर नाम दिया गया है। यह एक स्वदेशी हथियार निर्माण कार्यक्रम का हिस्सा है। यह ड्रोन मानव रहित होगा। इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत है कि ये दुश्मन के वायु क्षेत्र में तेजस के फाइटर पायलट के साथ मिलकर सुरक्षा के भारी इंतजामों के बीच भी मिशन को अंजाम दे सकता है। इस वॉरियर डड्रोन के लिए एचएएल ने 400 करोड़ रुपए इंवेस्ट किए हैं।
RUAV
इस एयर शो में एचएएल ने हेलिकॉप्टर ड्रोन कॉन्सेप्ट RUAV का प्रदर्शन किया है। इसके जरिए ऊंची जगहों पर आसानी से सामान पहुंचाया जा सकता है। सर्वेलांस के सहारे चलने वाला यह RUAV 150 किलोग्राम वजन ले जाने में सक्षम है। यह 18000 फीट की ऊंचाई तक आसानी से जा सकता है। माना जा रहा है कि यह सियाचिन में तैनात सैनिकों के लिए यह काफी अहम भूमिका निभाएगा।