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दिल्ली NCR में बार-बार क्यों आ रहे भूकंप? IIT प्रोफेसर ने क्यों कहा कि जल्द ही बड़ी तबाही हो सकती है
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के बीच देश में भूकंप के झटकों ने भी जरा दिया है। पिछले दो महीने में दिल्ली कई बार कांप चुकी है। एक्सपर्ट्स के माने तो दिल्ली-एनसीआर में बड़े भूकंप के झटका खतरा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली और एनसीआर में हाई इन्टेंसिटी का भूकंप आ सकता है। भूकंप की निगरानी करने वाली देश की सर्वोच्च संस्था द नेशनल सेंटर ऑफ सीसमोलॉजी (The National Center of Seismology) ने बताया है कि 12 अप्रैल से 29 मई तक दिल्ली-NCR में 10 भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।
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दिल्ली-एनसीआर का इलाका सीस्मिक जोन-4 में आता है और यही वजह है कि उत्तर-भारत के इस क्षेत्र में सीस्मिक गतिविधियां तेज रहती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीस्मिक जोन-4 में आने वाले भारत के सभी बड़े शहरों की तुलना में दिल्ली में भूकंप की आशंका ज्यादा बताते हैं। दिल्ली हिमालय के पास है, जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था और इसे धरती के भीतर की प्लेटों में होने वाली हलचल का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
आईआईटी धनबाद में सीस्मोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड पीके खान कहते हैं कि कम तीव्रता के झटके बार-बार लगना एक बड़े भूकंप का संकेत है।
पीके खान ने कहा, पिछले दो साल में दिल्ली-एनसीआर में रिक्टर स्केल पर 4 से 4.9 तीव्रता वाले 64 भूकंप देखे हैं। वहीं 5 से ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप 8 बार आए। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि इलाके में स्ट्रेन एनर्जी बढ़ रही है। खासतौर से नई दिल्ली और कांगड़ा के नजदीक इसका खतरा है।
खान ने बताया कि एनसीआर और उत्तरकाशी की दूरी सिर्फ 260 किलोमीटर है। कांगड़ा 370 किलोमीटर दूर हैं। दोनों इलाके खतरनाक भूंकप के लिए जाने जाते हैं।
प्रोफेसर खान ने बताया कि कांगड़ा के नजदीक चम्बा में साल 1945 में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था। वहीं धर्मशाला में 1905 में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था।
आईआईटी के मुताबिक, उत्तरकाशी के नजदीक गढ़वाल में एक निष्क्रिय इलाका है, जहां 1803 में 7.7 और 1991 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था। बढ़ते शहरीकरण और बिल्डर्स के भूकंप संबंधी मानकों का पालन न करने की वजह से एनसीआर में बड़ा खतरा हो सकता है।
खान ने कहा कि दिल्ली हरिद्वार रिज पर भी हलचल हो रही है। वहां हर साल प्लेट में 44 मिलीमीटर का मूवमेंट देखने को मिल रहा है।