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कंटेनर में छिपे शख्स को गोलियों से भूना, फिर पत्नी को खिलाए खून से सने चावल...दर्दनाक है ये कहानी
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बीते साल 14 नवंबर 2019 को कश्मीरी कॉलमिस्ट, राजनीतिक टिप्पणीकार सुनंदा वशिष्ठ ने अमेरिका संसद में ऐसे ही तमाम अत्याचारों का जिक्र किया था। सुनंदा ने कश्मीर पर पाकिस्तान के झूठ की पोल खोलते हुए बताया था कि कश्मीरियों ने उसी तरह का आतंक और अत्याचार झेला, जैसा इस्लामिक स्टेट सीरिया में अंजाम दिया गया।
सुनंदा ने बताया, रातों रात कश्मीर से 4 लाख हिंदुओं ने पलायन किया। उनके पास सिर्फ यही ऑप्शन बचा था, कि भाग जाओ या मारे जाओ। उन्होंने उन जुर्मों का जिक्र करते हुए बताया था, वहां एक नौजवान कश्मीरी हिंदू इंजीनियर को आतंकवाद ने सिर्फ धर्म को लेकर मार दिया।
उन्होंने बताया कि जब आतंकी उसे मारने आए तो वह चावल के कंटेनर में छिप गए। वह भी जिंदा होता, लेकिन उसके पड़ोसियों ने उसकी पहचान बता दी। आतंकियों ने कंटेनर पर गोलियां बरसाईं।
वे बताती हैं कि वह नौजवान मारा गया। उसकी पत्नी और परिवार वालों को उसी खून से सने चावल को खाने के लिए मजबूर किया गया। उसका नाम बीके गंजू था।
सुनंदा ने बताया था कि 19 जनवरी 1990 को मस्जिदों से हिंदुओं के खिलाफ फतवे जारी किए गए थे। महिलाओं से सामुहिक दुष्कर्म के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद उन्हें घाटी से भागकर देश के अन्य भागों में आना पड़ा था। जहां वे आज भी अपने देश में शरणार्थियों के तौर पर रह रहे हैं।
वे बताती हैं कि हिंदुओं के पास उस वक्त सिर्फ तीन विकल्प थे, इस्लाम कबूल करो, मारे जाओ या कश्मीर छोड़कर चले जाओ। इस बात का जिक्र कई बार अनुपम खेर ने भी किया है।
सुनंदा ने अपनी कहानी बताते हुए कहा था कि उनके दादाजी रसोई का चाकू और कुल्हाड़ी लेकर हमें मारने के लिए इसलिए खड़े थे, क्यों कि वे हमें उस बर्बरता से बचा सकें, जो हमें जिंदा रहने पर हमारा इंतजार कर रही थी।
सुनंदा वशिष्ठ ने बताया था, ''मैं कश्मीर की अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से हूं। मैं यहां इसलिए बोल रही हूं क्यों कि मैं जिंदा हूं। कौन हैं सुनंदा वशिष्ठ: सुनंदा वशिष्ठ एक लेखिका, राजनीतिक टिप्पणीकार हैं। वे पीड़ित कश्मीरी हिंदू हैं। अमेरिका में रहती हैं।