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- गुजरात में बन रहे थे नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, 60000 शीशियां, 30 हजार स्टीकर बरामद; 7 गिरफ्तार
गुजरात में बन रहे थे नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, 60000 शीशियां, 30 हजार स्टीकर बरामद; 7 गिरफ्तार
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पुलिस के मुताबिक, ये लोग पिछले 10-15 दिन से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहे थे। इन लोगों के पास से 90 लाख रुपए बरामद हुआ है। आरोपियों ने यह नकली इंजेक्शन बेच कर कमाया है।
महामारी का फायदा उठा कर बेच रहे थे नकली इंजेक्शन
देशभर में कोरोना का संकट छाया हुआ है। कई शहरों से रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में ये लोग लोगों की मजबूरियों का फायदा उठाकर नकली इंजेक्शन बेच रहे थे।
पुलिस को मिली थी सूचना
पुलिस को सूचना मिली थी कि दो लोग ब्लैक में बढ़ी हुई कीमतों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहे हैं। सूचना के आधार पर पुलिस ने राहुल कोटिया और रविराज हिरानी को गिफ्तार किया। ये दोनों मोरबी के रहने वाले हैं। पुलिस को इनके पास से 41 नकली इंजेक्शन और 2.15 लाख रुपए की नकदी मिली।
पूछताछ में हुआ बड़ा खुलासा
जांच में दोनों ने बताया कि उन्हें ये इंजेक्शन अहमदाबाद के जुहापुरा में रहने वाले शख्स से मिले थे। इसको बाद मोरबी पुलिस ने मोहम्मद आशिम, रमीज कादरी को गिरफ्तार किया। इनके पास से पुलिस को 1170 इंजेक्शन और 17.37 लाख कैश मिला।
इन लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस को सूरत के एक फार्महाउस के बारे में जानकारी मिली। पुलिस ने यहां सूरत के रहने वाले कौशल वोरा को गिरफ्तार किया। यही इस रैकेट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
आरोपी ने सूरत में फॉर्महाउस को किराए पर लिया था। यहां पिछले 10-15 दिन से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाए जा रहे थे। यह छोटी फैक्ट्री की तरह था। पुलिस को यहां से 30 हजार स्टीकर और 60 हजार खाली शीशियां बरामद हुई हैं।
राज्य सरकार के मुताबिक, पुलिस ने दवाओं के ब्लैकमार्केट से जुड़े पिछले महीने में 23 केस दर्ज किए हैं और 57 लोगों को गिरफ्तार किया है। यहां 899 रुपए के इंजेक्शन को 30 हजार रुपए में बेचा जा रहा है।