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फांसी के बाद निर्भया के दोषी अक्षय के शव की पहली तस्वीर, सफेद पड़ा चेहरा, 9 साल के बेटे ने किया अंतिम संस्कार

नई दिल्ली. निर्भया केस के चार दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी दे दी गई। फांसी के बाद दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर के शव की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अक्षय ठाकुर के शव को पोस्टमार्टम के बाद उसके परिजनों को सौंप दिया गया। शनिवार की सुबह शव औरंगाबाद में उसके गांव पहुंचा। जहां 9 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी। 

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Asianet News Hindi
Published : Mar 21 2020, 02:49 PM IST
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पत्नी और भाई शव लेने के लिए दिल्ली आए थे : फांसी के बाद शव लेने के लिए अक्षय की पत्नी और भाई आए हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांव में ही अक्षय का अंतिम सस्कार किया गया।
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अक्षय जिस गांव का था, वहां फांसी की खबर के बाद कई घरों में खाना भी नहीं बना। 9 साल के बेटे ने अक्षय का अंतिम संस्कार किया।
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कौन था अक्षय ठाकुर- यह बिहार का रहने वाला है। इसने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और दिल्ली चला आया। शादी के बाद ही 2011 में दिल्ली आया था। यहां वह राम सिंह से मिला। घर पर इस पत्नी और एक बच्चा है। (फांसी से पहले, कोर्ट के बाहर अक्षय की पत्नी बेहोश हो गई थी)
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चारों को आखिरी वक्त में एक दूसरे से नहीं मिलने दिया गया : चारों दोषी फांसी से पहले आखिरी बार एक दूसरे से मिलना चाहते थे। लेकिन तिहाड़ जेल प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। रात में करीब 1 बजे अक्षय ने मुकेश से मिलने के लिए कहा, लेकिन हेड वॉर्डन ने मना कर दिया।
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फांसी से पहले अक्षय की अंतिम इच्छा : फांसी से पहले पवन अक्षय ने अपनी आखिरी इच्छा में कुछ नहीं कहा। वह सिर्फ चुप रहे। निर्भया के दोषी मुकेश ने आखिरी इच्छा की। उसने कहा कि मैं अंगदान करना चाहता हूं। इसके लिए उसने लिखकर भी दिया। दोषी विनय ने जेल में पेंटिंग बनाई थी। उसने वह पेटिंग जेल अधिकारियों को रखने के लिए दी। विनय ने आखिरी इच्छा में कहा, जब मेरे शव को मेरे परिवार को सौंपा जाए तो उसके साथ हनुमान चालीसा और एक फोटो भी दी जाए।
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तिहाड़ जेल में फांसी से आधे घंटे पहले दोषियों के साथ क्या-क्या हुआ?
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फांसी के बाद तिहाड़ जेल के सामने लोग तिरंगा लेकर खुशी मनाते हुए।
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फांसी वाले दिन तिहाड़ जेल के सामने सुबह से ही भीड़ थी। लोग न्यायपालिका का धन्यवाद दे रहे थे।
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तिहाड़ जेल के बाहर लोगों की भीड़ देखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया था।
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जहां दोषियों के शवों का पोस्टमार्टम हुआ। वहां की तस्वीर।
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नाबालिग दोषी- निर्भया को 6वां दोषी नाबालिग था। वारदात के वक्त वह 17 साल का था। नाबालिग दोषी उत्तर प्रदेश के एक गांव का रहना वाला है। वह 11 साल की उम्र में दिल्ली आया था। इस केस में इसपर बतौर नाबालिग मुकदमा चलाया गया। 31 अगस्त 2013 को नाबलिग को बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया और उसे सुधार गृह में तीन साल के लिए भेज दिया गया। इसके बाद उसे फ्री कर दिया गया।
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निर्भया से गैंगरेप का दोषी मुकेश बस क्लीनर का काम करता था। जिस रात गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह बस में ही सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था।
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पवन दिल्ली में फल बेंचने का काम करता था। वारदात वाली रात वह बस में मौजूद था। पवन जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था।
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निर्भया का मुख्य दोषी राम सिंह था। मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में राम सिंह की लाश मिली थी। पुलिस के मुताबिक राम सिंह ने खुद को फांसी लगाई थी, लेकिन बचाव पक्ष के वकीलों और राम सिंह के परिवार का आरोप था कि राम सिंह की हत्या की गई थी। राम सिंह बस ड्राइवर था। दक्षिण दिल्ली के रविदास झुग्गी में रहने वाला राम सिंह वारदात से 20 साल पहले राजस्थान से दिल्ली आया था। निर्भया केस में सबसे पहले राम सिंह को ही गिरफ्तार किया गया था।
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निर्भया का दोषी विनय जिम ट्रेनर का काम करता था। वारदात वाली रात विनय बस चला रहा था। इसने पिछले साल जेल के अंदर आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी लेकिन बच गया था।
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क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड? दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।
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फांसी से एक दिन पहले 6 याचिकाएं रद्द : फांसी से एक दिन पहले दोषियों की एक के बाद एक 6 याचिकाएं खारिज हुईं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर की दूसरी दया याचिका को खारिज कर दिया। राष्ट्रपति की ओर से दूसरी दया याचिका ठुकराने पर अक्षय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। मुकेश, सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश सिंह की याचिका को खारिज कर दिया। मुकेश ने दावा किया था कि गैंगरेप के वक्त वह दिल्ली में ही नहीं था। पवन, सुप्रीम कोर्ट में ही दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो गई। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 3 दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। चारों दोषी पटियाला हाउस कोर्ट की रद्द की गई याचिका के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी।

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