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लाश दफनाने के लिए JCB से की जा रही खुदाई, परिजन वीडियो कॉल के जरिए कर रहें अंतिम संस्कार
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21 दिन के बाद देश में 3 मई तक के लिए फिर से लॉकडाउन बढ़ा दिया गया। इसके बाद सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की, जिसके मुताबिक सरकार ने अपनी गाइडलाइन में बताया है कि अंतिम संस्कार में 20 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकते हैं।
दिल्ली में कोरोना से महिला की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार करते हुए। इस दौरान क्रेन का इस्तेमाल गड्ढा खोदने में किया गया।
यूपी के प्रयागराज (इलाहाबाद) की तस्वीर। 31 मार्च को गंगा घाट के किनारे अंतिम संस्कार को ले जाते हुए। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, अंतिम संस्कार में 20 से कम लोग ही शामिल हुए। इस दौरान स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल थे।
अंतिम संस्कार के दौरान किसी भी तरह का कोरोना का खतरा न हो। इसलिए श्मशान घाट पर भी दवा का छिड़काव करते हुए। छिड़काव के पीछे की बड़ी वजह है कि वहां से किसी तरह के संक्रमण न फैले।
तस्वीर अमृतसर की हैं। अंतिम संस्कार के दौरान छिड़काव करते हुए स्वास्थ्यकर्मी। छिड़काव इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि अंतिम संस्कार के बाद यहां पर किसी तरह का संक्रमण न फैले।
11 अप्रैल 2020 की अमृतसर की तस्वीर। शिवपुरी श्मशान घाट पर कीटाणुनाशक का छिड़काव करते हुए।
कोरोना वायरस से मृत्यु के बाद व्यक्ति के शव को दफनाने के लिए कब्रिस्तान पहुंचती एंबुलेंस। तस्वीर दिल्ली की है।
दिल्ली के निगमबोध घाट की तस्वीर। दाह संस्कार के दौरान एक व्यक्ति पीपीई किट के साथ।
दिल्ली में अंतिम संस्कार के दौरान की तस्वीर। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, यहां पर 20 से कम लोग ही इकट्ठा हुए। शव को दफनाने के लिए जेसीबी से खुदाई की।
कोरोना से मृत व्यक्ति के रिश्तेदार। शव को दफनाने से पहले अंतिम संस्कार की प्रार्थना करते हुए। तस्वीर दिल्ली की है।
दिल्ली के कब्रिस्तान की तस्वीर। यहां पीपीई सूट में मृतक परिवार के सदस्य और स्वास्थ्यकर्मी। तस्वीर 16 अप्रैल की है।
अंतिम संस्कार से पहले निगमबोध घाट के बाहर खड़े स्वास्थ्यकर्मी।
दिल्ली के नगमबोध घाट की तस्वीर। यहीं पर कोरोना से मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्यकर्मी पीपीई सूट में नजर आ रहे हैं। अंतिम संस्कार के दौरान घर के लोग भी मौजूद नहीं रहते हैं।
नई दिल्ली की तस्वीर। 16 अप्रैल 2020। लॉकडाउन के दौरान निगमबोध घाट पर कोरोना से पीड़ित व्यक्ति का अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हुए। स्वास्थ्य कर्मी पीपीई सूट में दिख रहे हैं।
अंतिम संस्कार के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुझाव दिए हैं। डब्लूएचओ के मुताबिक, शव को आइसोलेशन रूम से बाहर ले जाने के दौरान शव के फ्लूइड्स के सीधे संपर्क में आने से बचने के लिए पीपीई का इस्तेमाल करना चाहिए।
डब्लूएचओ के मुताबिक, शव को एक बैग में पूरी तरह से सील कर देना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि मुर्दाघर कर्मियों और अंतिम संस्कार करने वालों को हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। अगर शव से फ्लूइड्स की संभावना हो तो चेहरे की सुरक्षा करने वाले पीपीई का इस्तेमाल भी करना चाहिए।
हालांकि कोरोना से मृत व्यक्तियों के शवों से वायरस फैल सकता है या नहीं, इसपर एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बताया था कि कोरोना वायरस शवों से नहीं फैल सकते है। यह रेस्पायरेटरी सीक्रेशन से फैलता है। कोरोना का वायरस सबसे ज्यादा खांसने से फैलता है। इसलिए संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार करने से कोई खतरा नहीं है।