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कभी भी फांसी पर लटकाए जा सकते हैं निर्भया के दोषी, जल्लाद को जेल से मिलीं हैं ऐसी हिदायतें
| Published : Dec 15 2019, 03:42 PM IST
कभी भी फांसी पर लटकाए जा सकते हैं निर्भया के दोषी, जल्लाद को जेल से मिलीं हैं ऐसी हिदायतें
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जल्लाद पवन ने कहा कि अब तब तक ज्यादा बात नहीं करूंगा, जब तक निर्भया हत्याकांड के चारों मुजरिमों की मौत की सजा पर कोई अंतिम फैसला नहीं आ जाता।” पवन ने कहा, “दरअसल मैं अब तक मीडिया से इस मुद्दे पर खुलकर बात कर रहा था। मेरी भी दिली ख्वाहिश है कि मैं ही निर्भया के हत्यारों को फांसी के फंदे पर झुलाने पहुंचूं। मामला बेहद पेंचीदा और संवेदनशील है। जब से तिहाड़ जेल प्रशासन ने बेहद गोपनीय तरीके से उत्तर प्रदेश जेल प्रशासन से जल्लाद को लेकर बातचीत शुरू की है, तब से मुझ पर काफी कुछ पाबंदियां लगा दी गई हैं।”
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पवन ने कहा, “मेरठ जेल के अफसरों ने सलाह दी है कि मैं अब कुछ दिनों तक किसी से ज्यादा बातचीत न करूं। साथ ही भीड़-भाड़ से दूर रहूं। शहर के बाहर भी कहीं न आऊं-जाऊं। अपनी सेहत का ख्याल रखूं।” पवन ने आगे कहा, “मेरठ जेल के कुछ अफसर ने मुझे कुछ दिन बेहद 'सतर्क' रहने की हिदायत भी दी है। मुझसे कहा गया है कि मैं अपनी हिफाजत को लेकर बेहद सतर्क रहूं। राज्य जेल प्रशासन से कभी भी कोई आदेश आने की संभावना है।”
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पवन ने कहा, मेरठ जेल वालों ने मुझे इसी मामले को लेकर सतर्क रहने को कहा है। मुझे कोई तैयारी नहीं करनी है। डेथ वारंट की खबर मिलने पर मुझे तिहाड़ जेल में पहुंचने के बाद सिर्फ 45 मिनट चाहिए चारों मुजरिमों को फांसी के तख्ते पर झुलाने के लिए। मीडिया में आ रही खबरों में ही मैंने सुना, देखा, पढ़ा है कि निर्भया के मुजरिमों को फांसी पर चढ़ाए जाने के लिए रस्से तिहाड़ जेल प्रशासन बक्सर बिहार में तैयार करा रहा है। बात में कितना दम है मुझे नहीं पता।”
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पवन ने एक साथ चार फंदे टांगूंगा। फिर एक-एक करके चारों मुजरिमों को पहले पीठ की तरफ दोनों हाथ- पांव रस्सी से बांध दूंगा। चारों को गले में फंदा डालकर खड़ा कर दूंगा। जैसे ही जेलर रुमाल हिलाकर इशारा करेगा, एक साथ चारों ही फंदों के तख्ते का लीवर खींच दूंगा।
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आधे घंटे या फिर 45 मिनट बाद मौत के कुंए में लटक रहे शवों की पड़ताल के लिए सबसे पहले मैं जल्लाद और एक डॉक्टर उतरेगा। जब डॉक्टर और जल्लाद चारों की मौत हो जाने का इशारा करेंगे तब कुंए के भीतर मौजूद लाइट्स को जलाकर रोशनी की जाएगी। उसके बाद जल्लाद और डॉक्टर के इशारे पर फांसी घर के कुएं से चंद कदम दूर खड़े जेलर साहब कुंए की तरफ बढ़ेंगे और मौका-मुआयना करने के बाद कागज पर मौके के हालात लिखित में दर्ज करेंगे।”