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सुशांत का हत्यारा कौन? CBI पता लगाएगी, जान लें कि यह एजेंसी कैसे काम करती है कितनी पावरफुल है
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सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इतना ही नहीं सुशांत सिंह की गर्लफ्रेंड को बड़ा झटका देते हुए बेंच ने कहा, बिहार सरकार को जांच का अधिकार है। पटना पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है वह ठीक है। महाराष्ट्र कोर्ट में मामले की सुनवाई नहीं होगी। बिहार की अदालत में ही सुनवाई होगी।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, युद्ध से जुड़े खरीद फरोख्त में रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए ब्रिटिश भारत के युद्ध विभाग में 1941 में एक विशेष पुलिस प्रतिष्टान (एसपीई) का गठन किया गया। बाद में इसे एक एजेंसी के रूप में स्थापित कर दिया गया।
साल 1963 में भारत सरकार की रक्षा से संबंधित गंभीर अपराधों, गंभीर धोखाधड़ी की जांच के लिए भारत सरकार द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की स्थापना की गई थी।
सीबीआई को सिर्फ उन अपराधों की जांच की अनुमति है जो केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित हैं। यह एजेंसी किसी राज्य की सरकार की सहमति के बिना किसी भी क्षेत्र में अपनी शक्तियों और अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
सीबीआई किसी भी मामले की जांच तभी शुरू करती है जब, संबंधित राज्य, जहां पर अपराध हुआ है वह अनुरोध करे। इसके बाद केंद्र सरकार इसकी सहमति दे दे।
राज्य सरकार डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के तहत सहमति की अधिसूचना जारी करती है। केंद्र सरकार की अधिसूचना जारी करती है। सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट सीबीआई को इस तरह की जांच करने का आदेश देती है।
अब सवाल उठता है कि सीबीआई किस तरह के मामलों को देखती है? इसके लिए जान लें कि सीबीआई में अपराध की जांच के लिए तीन विभाग हैं। पहला एंटी करप्शन डिवीजन। दूसरा इकोनॉमिक अफेंस डिवीजन और तीसरा स्पेशल क्राइम डिवीजन।
अगला सवाल कि क्या राज्य की सहमति के बिना सीबीआई सर्च ऑपरेशन कर रहती है। सीबीआई कभी भी राज्य की एक स्थानीय अदालत से सर्च वारंट प्राप्त कर सकती है और तलाशी ले सकती है।
केन्द्रीय अनुसंधान ब्यूरो कई बार विवादों और आरोपों से घिरी रहती है। इस पर केन्द्रीय सरकार के एजेंट के रूप में पक्षपातपूर्ण काम करने का आरोप लगता है।