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चीन का साथ होने पर भी कश्मीर मुद्दे पर मिली हार के बाद फिर बौखलाया पाकिस्तान, चली नई चाल
नई दिल्ली. भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते पहले से ही खास अच्छे नहीं हैं। कश्मीर से 370 हटाए जाने के बाद से दोनों देशों में तनाव बरकरार है। चीन के साथ पाकिस्तान ने भारतीय डिप्लोमेट जयंत खोबरागड़े को वीजा देने से इनकार दर दिया है। भारत ने उन्हें इस्लामाबाद में अपने मिशन की चीफ नियुक्त किया था। वीजा खारिज करने का मतलब उनकी नियुक्ति को खारिज करना है। खोबरागड़े का नाम इस साल जून में प्रस्तावित किया गया था। उसी महीने भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक सम्बंधों में और कटौती करते हुए मिशन स्टाफ में 50 प्रतिशत की कमी कर दी थी।
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पाकिस्तान की तरफ से खोबरागड़े को वीजा न देने को सरकार उसकी मिशन स्टाफ में कटौती पर जवाबी कार्रवाई की तरह देख रही है। साथ ही कश्मीर मुद्दे को लेकर इन्फॉर्मेशन वॉर में खास सफलता न मिलने की बौखलाहट को पाकिस्तान ऐसे उतार रहा है। यूएन में चीन की मदद से पाकिस्तान ने कई बार कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की है, लेकिन उसे हर बार मुंह की खानी पड़ी है। हर बार उसके द्वारा की गई कोशिश फेल को हो गई।
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान को खोबरागड़े की सीनियॉरिटी से दिक्कत है। उसे लगता है कि मिशन को लीड करने के लिहाज से वो बेहद सीनियर अधिकारी हैं। भारत का मानना है कि पाकिस्तान को उसकी नियुक्तियों में दखल देने का कोई हक नहीं है। भारत भी ऐसी ही जवाबी कार्रवाई कर सकता है। इस स्तर पर किसी डिप्लोमेट की नियुक्ति खारिज करना गलत है।
1995 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी, जयंत खोबरागड़े इस वक्त परमाणु ऊर्जा विभाग में ज्वॉइंट सेक्रेटरी हैं। वह किर्गिस्तान में भारतीय राजदूत रह चुके हैं। इसके अलावा रूस, स्पेन और कजाकिस्तान के मिशन में जूनियर लेवल पर भी जिम्मेदारी संभाली है।
बताया जाता है कि खोबरागड़े पहले भी पाकिस्तान में काम कर चुके हैं, लेकिन इसकी संभावना बेहद कम है कि उसका वीजा खारिज करने से कोई लेना-देना हो। चूंकि दोनों देशों ने अपने-अपने उच्चायुक्तों को पिछले साल बुला लिया था, उनके मिशन को उपराजदूत संभालते हैं।
भारत को लगता है कि पाकिस्तान अब तक पिछले साल 5 अगस्त को लगे झटके से उबर नहीं पाया है। सरकार मे जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रप्रशासित प्रदेशों में बांटते हुए उसका विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान कान 25 सितंबर को जब संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भाषण देंगे तो उनके यह मुद्दा उठाने की संभावना है।
भारत ने इसी हफ्ते यूएन की ह्यूमन राइट्स काउंसिल (UNHRC) में पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी। जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव पवन बाधे ने UNHRC में कहा था कि 'ना तो भारत, ना ही बाकी देश मानवाधिकार पर ऐसे किसी देश से बिन मांगे उपदेश सुनना चाहते हैं। जो लगातार अपने यहां अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करता रहा हो, आतंकवाद का गढ़ हो, यूएन की प्रतिबंधित सूची में शामिल लोगों को पेंशन देता हो और ऐसा प्रधानमंत्री हो जो जम्मू और कश्मीर में हजारों आतंकियों को ट्रेनिंग देने की बात बड़े गर्व से मानता हो।'