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बिना दोनों पैरों के 'कारगिल हीरो' को अपने बीच देखकर राहुल गांधी ने किया सैल्यूट, जानिए कौन हैं जाबांज दीपचंद?
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8 मई 1999 को शुरू हुई कारगिल जंग 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तान की हार के साथ खत्म हुई थी। एक बार नायक दीपचंद ने कारगिल की यादों को शेयर करते हुए बताया था- मेरी बटालियन ने युद्ध के दौरान 10000 राउंड फायर किए। मुझे इस बात पर गर्व है। उस वक्त हमारे सामने बस एक ही लक्ष्य था, दुश्मन को तबाह करना।
दीपचंद हरियाणा के हिसार के पबरा गांव में बड़े हुए। दीपचंद ने एक इंटरव्यू में बताया था कि दादा उन्हें जंग की कहानियां सुनाया करते थे।
दीपचंद ने 1889 लाइट रेजिमेंट में गनर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी पैर पसार रहे थे, तब वहां दीपचंद की पोस्टिंग हुई। उनकी रेजीमेंट को जब युद्ध में जाने का आदेश हुआ, तब वो गुलमर्ग में तैनात थे।
5 मई 1999 को पता चला कि पाकिस्तानी घुसपैठियों ने सरहद में घुसने की हिम्मत की है, तब दीपचंद और उनके दल के जवानों ने 120 मिमी मोटर्स के हथियार के साथ चढ़ाई की। दीपचंद के अनुसार-हम अपने कंधे पर भारी हथियार और गोला बारूद ले कर ऊंची पहाड़ी पर चढ़ने लगे। कई जगह पहाड़ पर चढ़ना बहुत मुश्किल था क्योंकि पहाड़ की चोटी बहुत नुकीली थी।
कारगिल के 2 साल बाद संसद पर हमला हुआ था। तब दीपचंद राजस्थान बॉर्डर पर तैनात थे। उसी वक्त बारूद के स्टोर में रखा एक गोला गलती से फट गया और उस हादसे में दीपचंद ने अपने हाथ का पंजा खो दिया था। इतना ही नहीं बल्कि कुछ ही दिनों बाद उनके दोनो पैर भी कटवाने पड़े थे।
बारूद में हुए धमाके में दीपचंद बुरी तरह घायल हो गए थे। 24 घंटे और 17 यूनिट खून चढ़ने के बाद मुझे होश आया था।
राहुल गांधी ने ने कैम्प साइट पर देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित करके Bharat JodoYatra के आज(19 नवंबर) के दिन की शुरुआत की।
पैदल मार्च 20 नवंबर को मध्य प्रदेश जाने से पहले महाराष्ट्र के अकोला और बुलढाणा जिलों से होकर गुजरेगा।
भारत जोड़ो यात्रा 150 दिनों की अवधि में 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करेगी। यह तमिलनाडु में कन्याकुमारी से जम्मू और कश्मीर तक 3,570 किमी की दूरी तय करेगी। इसमें 22 बड़े शहरों में मेगा रैलियां होंगी।