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प्लॉट नंबर 193, जहां भस्म हुई 27 जिंदगी वहां काम करते थे करीब 300 कर्मचारी, लोग पूछ रहे- हमारे भाई-बंधु कहां?
नई दिल्ली। मेरा भाई इस बिल्डिंग में करीब सात साल से काम करता था। आग लगने के बाद से वह नहीं मिल रहा। हमने दिल्ली के सभी बड़े अस्पतालों में खोज लिया, मगर उसका पता नहीं है। एफआईआर लिखवाने गए तो पुलिस ने कहा, कोई एफआईआर नहीं लिखी जाएगी। जाओ जहां घटना हुई है, वहीं तलाश करो। हम किससे पूछें कि वह कहां है। इस बिल्डिंग में ढाई सौ से तीन सौ लोग काम करते थे। 27 शव मिले और करीब इतने ही घायल, तो अब बाकी कहां हैं। यह पीड़ा है
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इस भीषण गर्मी में जब पारा 40 पार है, तब मुंडका का वह प्लॉट नंबर 193, जो शुक्रवार शाम करीब चार बजे सुलग उठा और देखते ही देखते शोलों में तब्दील हो गया। 27 जिंदगी भस्म हो गईं और करीब डेढ़ दर्जन लोग अस्पताल में मौत से लड़ रहे हैं। इस गर्मी में जलन और उसका दर्द सिर्फ वहीं समझ पा रहे होंगे, जिन्होंने इस त्रासदी को झेला है।
लापरवाही की इस चार मंजिला बिल्डिंग में लगी यह आग इतनी भयावह थी कि करीब 16 घंटे बाद भी सुलग रही है। दीवारें तप कर फट गई हैं और उनकी दरारों से खौलता पानी रिस रहा है। आग की धधक का असर आसपास की बिल्डिंग पर भी पड़ा है।
लोगों का कहना है कि इस चार मंजिला बिल्डिंग में आरओ और सीसीटीवी तथा राउटर आदि बनाने का काम होता था। इस बिल्डिंग में करीब तीन सौ लोग काम करते थे। जब घटना हुई तब शाम के करीब चार बजे थे। यानी पूरी स्ट्रेंथ यहा मौजूद होगी। नहीं भी तो दो से ढाई सौ लोग जरूर होंगे।
आधिकारिक तौर पर अब तक 27 शव निकाले गए हैं, जबकि करीब इतने ही विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। लोग अपने भाई-बंधु को अस्पतालों खोज रहे हैं, मगर कहीं पता नहीं चल रहा। ऐसे में उनका सवाल है कि जब इतनी संख्या में लोग थे और शव तथा घायलों की संख्या इससे काफी कम है तो बाकी लोग कहां हैं।
राहत व बचाव कार्य तथा फायर ब्रिगेड की टीम अब भी मौके पर है। लोगों की तलाश जारी है। लोगों का यह भी सवाल है कि बिल्डिंग को एनओसी नहीं मिली थी, फिर भी यह कैसे चल रही थी और मेन रोड पर होने के बाद भी अधिकारियों की नजर इस पर क्यों नहीं गई।