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कैसे बंदूक उठाकर 'चंबल के बीहड़ों' में कूदकर कुख्यात डकैत बने ये लोग, म्यूजियम बताएगा सिलसिलेवार कहानी
मध्य प्रदेश का चंबल इलाका डकैतों के लिए कुख्यात रहा है। यहां फूलन देवी, मलखान सिंह, निर्भय गुर्जर, मान सिंह, पान सिंह तोमर, सीमा परिहार जैसे डाकू जन्मे। इनमें से कइयों पर बालीवुड में सफल फिल्में भी बनीं। ये लोग बंदूक उठाकर चंबल में क्यों कूदे? इस बारे में अलग-अलग किस्से-कहानियां हैं। अब इसकी सच्चाई सामने लाने भिंड के मेहगांव स्थित एक पुराने थाने की बिल्डिंग में एक म्यूजियम खुलने जा रहा है। इस म्यूजियम में डकैतों से जुड़ी जानकारियां और उनकी चीजें रखी जाएंगी। इसका मकसद बागियों को समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश है। भिंड के एसपी मनोज कुमार सिंह ने कहते हैं कि म्यूजियम का मकसद लोगों को सबक और एक सार्थक पहल देना है, ताकि लोग कानून पर भरोसा करें। डाकू नहीं बनें और न किसी को बनने के लिए उकसाएं-प्रताड़ित करें।
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म्यूजियम में डाकुओं पर बनीं फिल्मों की स्क्रिप्ट, टेप रिकार्डर, फिरौती की चिट्ठियां, रस्सियां, जंजीरें, हथियार आदि रखे जाएंगे। म्यूजियम में पिछले 5 दशकों में डाकुओं के 2,000 डिजीटल पुलिस रिकॉर्ड और उनसे जुड़ी सभी चीजें रखी जाएंगी। इसमें 28 पुलिसकर्मियों के चित्र भी शामिल हैं, जो डाकुओं के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए। म्यूजियम के लिए 26 पुलिस थानों से दान जुटाया गया है। आइए जानते हैं चंबल के 8 कुख्यात डकैतों के बारे में...
फूलन देवी
ये 1980 के दशक की सबसे कुख्यात डकैत रहीं। 10 अगस्त, 1963 को जन्मी फूलन की 25 जुलाई, 2001 को हत्या कर दी गई थी। फूलन को बेहमई गांव में उच्च जाति के लोगों ने पीटा और बलात्कार किया था। इसके बाद 14 फरवरी, 1981 को फूलन ने 22 लोगों की हत्या करके चंबल में कदम रख लिया था। सरेंडर के बाद फूलन ने 1996 में यूपी के मिर्जापुर से सांसद का चुनाव लड़ा और जीतीं। इन पर बहुचर्चित फिल्म बैंडिट क्वीन बनी थी।
मलखान सिंह
मलखान सिंह चंबल के कुख्यात बागी रहे। इन्होंने 1982 में सरेंडर कर दिया था। मलखान सिंह अपने ही गांव में राजनीति और दुश्मनी के चलते डाकू बने थे। आरोप था कि बिलाव गांव के राम जानकी मंदिर को लेकर हुए विवाद में सरपंच ने उन पर झूठे मुकदमे लदवा दिए थे। पुलिस मलखान सिंह को 12 साल तक पकड़ नहीं पाई थी।
निर्भय सिंह गुर्जर
निर्भय गुर्जर 90 के दशक का कुख्यात डाकू रहा। उस पर 100 से ज्यादा मर्डर और 200 से अधिक किडनैपिंग का इल्जाम रहा। मप्र और यूपी की पुलिस उसके मारे परेशान थी। 8 नवंबर, 2005 को इटावा में यूपी पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया था।
मोहर सिंह
मोहर सिंह 1960 के दशक के डकैत थे। इनके गैंग में 150 से अधिक डाकू थे। पुलिस ने इनके सिर पर 12 लाख रुपए का इनाम रखा था। मोहर सिंह को 20 साल की सजा हुई थी, लेकिन उन्हें 1980 में रिहा कर दिया गया। वे 1994 में कांग्रेस की तरफ से भिंड जिले की मेहगांव नगर पंचायत के अध्यक्ष भी रहे।
सुल्ताना
इसे 20वीं सदी का सबसे चर्चित डकैत माना जाता है। इसके बारे में किसी के पास ज्यादा जानकारी नहीं है। हालांकि कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में बिजनौर जिले के नजीबाबाद में एक खंडहर किला है, जो सुल्ताना डाकू का माना जाता है। माना जाता है कि इसका आतंक 1920 के आस-पास रहा है।
मान सिंह
मप्र पुलिस ने 1955 में मानसिंह का एनकाउंटर कर दिया था। इस डाकू का जन्म आगरा जिले के खेड़ा गांव में हुआ था। इसका सरनेम राठौर था। चंबल के इतिहास में मान सिंह डाकू का नाम हमेशा दर्ज रहेगा।
पान सिंह तोमर
पान सिंह तोमर पर फिल्म भी बन चुकी है। ये भारतीय सेना के एक जवान और एक अच्छे एथलीट थे। बतौर रनर उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया। सेना से रिटायर्ड होने के बाद गांव में रंजिश के चलते उन्हें बंदूक उठानी पड़ी। पुलिस ने 1981 में पान सिंह का एनकाउंटर कर दिया था।
अपनी फैमिली के साथ पानसिंह तोमर
सीमा परिहार
सीमा परिहार निर्भय डाकू की पत्नी हैं। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के औरैया में हुआ था। कहते हैं कि जब ये 13 साल की थीं, तब डाकू लाला राम इन्हें उठाकर ले गया था। लालराम के गैंग में रहते हुए ये भी डकैत बन गईं। करीब 18 साल अपराधी जीवन में सीमा पर 70 लोगों की हत्या, 200 लोगों का अपहरण और तीस से ज्यादा घरों में डकैती डालने का आरोप लगा। 2000 में यूपी पुलिस के आगे इन्होंने सरेंडर कर दिया था। ये बिग बॉस में भी आ चुकी हैं।