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मेरे बेटे को छोड़ दो...तिहाड़ जेल में निर्भया के दोषी विनय से मिलने पहुंची उसकी मां
नई दिल्ली. निर्भया के चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी देने की तारीख तय की गई है। फांसी की तारीख तय होने के बाद दो दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन लगाई है। इस बीच खबर है कि तिहाड़ जेल में बंद दोषी मुकेश से मिलने के लिए उसकी मां आई थी। जेल प्रशासन ने मां को बेटे से मिलने की अनुमति दे दी। जेल प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक, बेटे को देख मां रोने लगी। उन्होंने बार-बार जेल में मौजूद पुलिस से गुहार लगाई की मेरे बेटे को छोड़ दो। अभी सभी दोषी अपने परिवार के लोगों से मिल सकते हैं। जब फांसी की तारीख नजदीक आएगी, तब दोषियों की उनके परिवार से आखिरी मुलाकात कराई जाएगी।
| Published : Jan 11 2020, 03:47 PM IST / Updated: Jan 11 2020, 06:02 PM IST
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दोषियों को अलग-अलग सेल में रखा गया है : पटियाला हाउस कोर्ट के डेथ वॉरन्ट जारी करने के बाद चारों दोषियों को अलग-अलग सेल में रखा गया है। यूपी से पवन जल्लाद को फांसी देने के लिए बुलाया गया है।
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सभी को दिया जा रहा है नॉर्मल खाना : डेथ वॉरन्ट जारी होने के बाद सभी दोषियों को नॉर्मल खाने पर रखा गया है। कोई स्पेशल डिमांड नहीं सुनी जा रही है।
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जायदाद किसी के नाम करनी है तो बता दें : जेल प्रशासन ने चारों दोषियों से कह दिया है कि अगर कोई दोषी अपनी जायदाद किसी के नाम करना चाहता है तो बता दे, उसे मौका दिया जाएगा। लेकिन इस मामले में किसी भी दोषी का कोई जवाब नहीं आया है।
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फांसी पर 14 जनवरी को बड़ा फैसला : निर्भया के चारों में से 2 दोषियों विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट 14 जनवरी को विचार करेगा। 14 जनवरी की दोपहर 1.45 बजे जस्टिस एनवी रमना, अरुण मिश्रा, रोहिंटन नरीमन, आर भानुमति और अशोक भूषण की बेंच बंद कमरे में विचार करेगी। दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी देने की तारीख तय की गई है।
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अंगदान की याचिका खारिज : इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के अंगदान के लिए मनाने की अनुमति मांगने वाली एनजीओ की याचिका खारिज कर दी गई। एनजीओ की ओर से यह याचिका 7 जनवरी को तब दायर की गई थी, जब अदालत ने दोषियों को फांसी देने की तारीख और समय तय किया था।
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निर्भया के साथ क्या हुआ था? : दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया।
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पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।