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3 मार्च को भी नहीं होगी फांसी? ये दो वजह निर्भया के दोषियों को बचा सकते हैं मौत से!
| Published : Feb 18 2020, 08:45 AM IST / Updated: Feb 18 2020, 11:04 AM IST
3 मार्च को भी नहीं होगी फांसी? ये दो वजह निर्भया के दोषियों को बचा सकते हैं मौत से!
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पटियाला हाउस कोर्ट की ओर से जारी नए डेथ वॉरंट के अनुसार 3 मार्च की सुबह 6 बजे निर्भया के सभी गुनहगारों को फांसी दी जाएगी। हालांकि आज सोमवार को शुरू हुई सुनवाई के दौरान सरकारी वकील की ओर से दलील दी गई कि 3 दोषियों (अक्षय, विनय और मुकेश) की दया याचिका खारिज हो चुकी है।
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सरकारी वकील ने कोर्ट में आगे कहा कि हाई कोर्ट की तरफ से दी गई एक सप्ताह की मियाद भी 11 फरवरी को समाप्त हो चुकी है। उन्होंने दलील दी कि इस समय फिलहाल किसी भी दोषी की कोई भी याचिका किसी भी कोर्ट में लंबित नहीं है, इसलिए नया डेथ वॉरंट जारी किया जा सकता है।
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इन 2 वजहों से टल सकती है फांसीः तीसरी बार डेथ वॉरंट जारी किए जाने के बाद भी कानूनी तौर पर 2 ऐसे पेच हैं, जिससे दोषियों की फांसी की सजा टल सकती है। दोषी अक्षय, विनय और मुकेश की दया याचिका खारिज हो चुकी है, जबकि पवन के पास अभी क्यूरेटिव याचिका और राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बचा हुआ है।
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पवन अगर फांसी की तारीख से काफी पहले क्यूरेटिव याचिका लगाता है तो उसकी याचिका उसी दिन खारिज हो सकती है या फिर कोर्ट में सुनवाई के लिए पर्याप्त समय रहेगा, लेकिन अगर उसकी ओर से फांसी की तारीख से ठीक पहले यानी 29 फरवरी के बाद क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की जाती है तो सुनवाई में समय लगने के कारण 3 मार्च की सुबह फांसी टल सकती है।
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इसके अलावा पवन के पास एक विकल्प यह भी है कि वह राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाए। राष्ट्रपति की ओर से इस संबंध में फैसला लिए जाने में देरी होने पर भी फांसी की सजा टल सकती है।
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हम अक्षय की दया याचिका लगाना चाहतेः दोषियों के वकील एपी सिंह ने कोर्ट में कहा कि हम अक्षय की दया याचिका लगाना चाहते हैं। एपी सिंह ने कहा कि कुछ दस्तावेज लगाए जाने बाकी रह गए थे। अक्षय के माता-पिता ने दया याचिका आधी-अधूरी लगाई थी। अगर कोर्ट हमें परमिशन दे, तो हम आज अक्षय का हस्ताक्षर कराकर राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा देंगे। दूसरी ओर, पवन के वकील रवि काजी ने भी कोर्ट को बताया कि वह भी क्यूरेटिव और दया याचिका लगाना चाहता है।
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तिहाड़ जेल मैन्यूअल के अनुसार एक मामले एक से अधिक दोषियों को एक साथ फांसी की सजा सुनाई जाती है। तो सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी पर चढ़ाने का प्रावधान है। इसमें अलग-अलग दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती। ऐसे में आशंका बनी हुई है कि दोषी इसी मैनुअल का फायदा उठाते हुए कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल करेंगे। जिससे एक बार फिर मौत टल सकती है।
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16 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने दरिंदगी की थी। साथ ही निर्भया के साथ बस में मौजूद दोस्त के साथ भी मारपीट की गई थी। दोनों को चलती बस से फेंक कर दोषी फरार हो गए थे।इसके बाद निर्भया का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चला था। जहां से उसे सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।