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चलने में आत्मविश्वास-दोस्तों से गर्मजोशी भरी मुलाकात...पीएम मोदी की बॉडी लैंग्वेज से सीखने वाली 8 बातें
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चलने में आत्मविश्वास की झलक हो: पीएम मोदी के चलने के तरीके में एक आत्मविश्वास झलकता है। बॉडी लैंग्वेज एक्सपर्ट की माने तो उन्हें देखने से ऐसा लगता है कि जैसे वे अपने रास्ते में आने वाले किसी भी संकट से निपटने और संभालने की क्षमता रखते हैं।
दोस्ताना व्यवहार बहुत जरूरी: कई मौकों पर देखा गया है कि पीएम मोदी कुछ राष्ट्राध्यक्षों के साथ दोस्ताना व्यवहार करते हैं। जैसे कि वे ओबामा से हमेशा एक दोस्त की तरह मिलते हैं। कोई प्रोटोकॉल नहीं। उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में कहा था कि हम और ओबामा बहुत खास दोस्त हैं। दोनों की वेवलेंथ बहुत स्पेशल है। ओबामा ने भी मोदी को अपना दोस्त बताया था। जब ओबामा भारत आए थे तब दोनों नेताओं ने हैदराबाद हाउस में काफी वक्त साथ बिताया। पीएम मोदी ने ओबामा के लिए चाय भी बनाई।
गर्मजोशी में मुलाकात करें: भारत सहित विदेश दौरों में पीएम मोदी किसी भी व्यक्ति से बड़े ही गर्मजोशी से मिलते हैं। इसका फर्क इस तस्वीर में दिखेगा। पीएम मोदी का ओबामा से हाथ मिलाने का तरीका देख लें। जून 2017 में मोदी की ये बॉडी लैंग्वेज डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात के दौरान भी दिखी थी। जब ट्रम्प ने अपनी स्पीच खत्म की, तब भी पीएम मोदी उनकी ओर बढ़े और गले लगा लिया। इसी तरह पीएम मोदी की स्पीच खत्म होने पर ट्रम्प ने उन्हें गले लगा लिया था।
सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बनना जरूरी: पीएम मोदी की खासियत रही है कि जब भी वे विदेश के किसी कार्यक्रम में गए हैं तो वहां सेंटर ऑफ अट्रैक्शन रहे हैं। तस्वीर जर्मनी G20 समिट की है। नरेंद्र मोदी से बात करते हुए दुनिया के दूसरे नेताओं की तस्वीर। इसमें साफ दिख रहा है कि वे पीएम मोदी से बात करने में कितने उत्साहित हैं।
बातों में बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल करें: पीएम मोदी के व्यक्तित्व का ये सबसे बड़ा गुण है। वह बोलते वक्त बॉडी लैंग्वेज का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। किसी भी अच्छे वक्ता में ये सबसे अच्छी क्वालिटी मानी जाती है। लाल किले से भाषण देने से लेकर चुनावी सभा करनने तक हर जगह पीएम मोदी दोनों हाथ खोलकर जनता को संबोधित करते हैं। इससे उनमें आत्मविश्वास दिखता है। लोग उनके भाषण सुनते हैं। ये खासियत कम ही वक्ताओं में होती है।
पहली मुलाकात में सामने वाले को कम्फटेबल कर देना: ये पीएम मोदी की खासियत है कि जब कोई उनसे पहली बार मिलता है तो वे उसे बहुत कम्फटेबल कर देते हैं। इसका ताजा उदाहरण ओलम्पिक जीतकर आए खिलाड़ियों का पीएम के साथ मुलाकात करने में दिखा। वहां अधिकतर खिलाड़ी पहली बार पीएम मोदी से मिल रहे थे। लेकिन सभी खिलाड़ियों को उन्होंने इतना कम्फटेबल कर दिया वे भी खुलकर पीएम मोदी के साथ बात करने लगे।
बातों में प्रभावशाली शब्दों का इस्तेमाल करें: पीएम मोदी की बातों में कुछ प्रभावशाली शब्द ऐसे होते हैं जो सामने वाले पर असर कर जाते हैं। ये कला व्यक्तिगत बातचीत से लेकर चुनावी रैलियों में देखने को मिलती है। जैसे की पीएम मोदी ने किसान आंदोलन के दौरान आंदोलन जीवी और FDI जैसे नए शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कोरोना को लेकर दी स्पीच में इसका फुल फॉर्म बताया को-कोई, रो- रोड पर, ना- ना निकले। ऐसे ही अपनी स्पीच में पीएम ने कहा था कि ये नया भारत है। हम किसी को छेड़ते नहीं है और किसी ने छेड़ा तो उसे छोड़ते नहीं हैं।
माहौल के हिसाब से व्यवहार करना: पीएम मोदी की खासियत है कि वे माहौल के हिसाब से व्यवहार करते हैं। अगर किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष के साथ हैं तो एक राष्ट्राध्यक्ष के जैसा व्यवहार करते दिखते हैं। वहीं अगर बच्चे के साथ है तो वहां वैसा व्यवहार करते हैं। जुलाई 2019 में पीएम मोदी की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वे एक बच्चे के साथ खेलते हुए दिख रहे थे। पीएम मोदी ने बच्ची को अपनी गोद में बैठा लिया था। उन्होंने इंस्टाग्राम पर ये तस्वीर भी शेयर की थी और लिखा था, एक बहुत खास दोस्त आज मुझसे मिलने संसद में आया।
अपनापन दिखाने का खुद का तरीका हो: बच्चों के कान खींचने की पीएम मोदी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल होती है। ऐसी एक तस्वीर जापान के दौरे के गए पीएम मोदी की आई थी, जिसमें वे क्वोटो स्थित किनकाकू जी मंदिर में दर्शन करने जा रहे थे, जहां उन्होंने बच्चे के कान खींचे, जिसकी तस्वीर वायरल हुई। उन्होंने कनाडाई पीएम की बेटी के कान खींचने के अलावा बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार के बेटे आरव के भी कान खींचे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये पीएम मोदी का बच्चों के साथ अपनापन दिखाने की एक कला है। आमतौर पर माता-पिता शरारत करने पर बच्चों के कान खींचते हैं वैसे ही पीएम मोदी अभिभावक की भूमिका में बच्चों के प्रति अपनापन दिखाते हैं।
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