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कुल्लू अंतरराष्ट्रीय दशहरा महोत्सव में पीएम मोदी ने कहा-दुनिया हमारे भारतीय समाज व जीवन को देखने को लालायित
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कुल्लू के अंतरराष्ट्रीय दशहरा महोत्सव में पीएम मोदी ने कहा कि हिमाचल की देवनीति में हमारी राजनीति के लिए भी बहुत बड़ी सीख है। देवनीति में कैसे सबके प्रयास से सबको जोड़ते हुए, गांव-समाज की बेहतरी के लिए काम किया जाता है, वो विकसित भारत के निर्माण के लिए भी बड़ी प्रेरणा है।
पीएम मोदी ने कहा कि बीते सालों में कुल्लू दशहरे का बहुत विस्तार हुआ है लेकिन अभी भी इसमें बहुत संभावनाएं हैं। सुविधाओं का कैसे अधिक से अधिक विस्तार हो सके, इस पर निरंतर काम करते रहना है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जिस प्रकार से भारत के समाज जीवन को जानने-समझने की ललक दिख रही है, उससे हमारे टूरिज्म को, हैरिटेज टूरिज्म के रूप में बहुत विस्तार मिल सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय एकता हो या फिर नागरिक कर्तव्य बोध, इसमें भी हमारी ये सांस्कृतिक विरासत कड़ी का काम करती है। यही वो मजबूत कड़ी है, जो देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को भी भारत से जोड़ती है। हमारी असली विरासत हमारी संस्कृति और लोकजीवन है, जो हजारों वर्षों से हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करते आ रहे हैं। हम दुनिया में कहीं भी रहें, इसकी पहचान हमें हमारी ये विरासत ही कराती है।
उन्होंने कहा कि समय के साथ कुल्लू सहित पूरा हिमाचल प्रदेश बदला है, लेकिन मुझे संतोष है कि यहां के लोगों ने अपनी संस्कृति को और अधिक सशक्त किया है। हिमाचल, उत्सवों-पर्वों-त्योहारों का प्रदेश है। इन उत्सवों की एक और विशेषता है कि ये देव और लोक का अद्भुत संगम होते हैं। इनमें आस्था भी होती है और गीत-संगीत-नृत्य-व्यापार जैसे लोकजीवन के पहलू भी रहते हैं।
कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा महोत्सव देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यह पारंपरिक मेला हर साल आयोजित होता है और देवी-देवताओं के परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। ढालपुर मैदान में लगा यह मेला 5 से 11 अक्टूबर तक चलेगा। देवी-देवताओं का यह दशहरा मेला, कई अनूठी परंपराओं का गवाह है। महोत्सव के शुभारंभ के पहले बुधवार सुबह सभी देवी-देवता देव परंपरा का निर्वहन करने के लिए भगवान रघुनाथ से मिलने सुल्तानपुर स्थित रघुनाथ के मंदिर पहुंचते हैं। यहां सभी शीश नवाएंगे। इसके बाद सभी देवी-देवताओं के साथ भव्य जुलूस के साथ भगवान रघुनाथ का रथ ढालपुर रथ मैदान में आएगा। दोपहर में ढोल-नगाड़ों की थाप के साथ मंदिर से कड़ी सुरक्षा के बीच भगवान रघुनाथ मैदान पहुंचते हैं। पढ़िए पूरी खबर...
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