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मोरबी हादसे की इस तस्वीर ने किया निःशब्दः मासूम के सिर पर हाथ रख PM शायद सोचने लगे कि क्या कहकर दिलासा दिलाऊं
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मोरबी पुल गिरने से हुई मौतों के बाद स्थिति का जायजा लेने व शोक संवेदना प्रकट करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को पहुंचे थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले हादसा स्थल पर पहुंचकर हादसा की पूरी व विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने सभी हादसा स्थल देखने के बाद घायलों से मिलने अस्पताल जाने का फैसला किया। घायलों से मिलने के पहले उन्होंने रेस्क्यू में लगी टीमों से मुलाकात की। सैकड़ों जान बचाने वाले इन प्रहरियों का हौसलाआफजाई कर उन्होंने धन्यवाद किया।
रेस्क्यू टीमों से मुलाकात के बाद उन्होंने अस्पताल में भर्ती घायलों से मुलाकात की। उस खौफनाक मंजर को जाना और उनको ढ़ांढ़स बंधाया। घायलों से इलाज के बाबत जानकारी ली। साथ ही यह भरोसा दिलाया कि उनके इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होगी और हर संभव मदद की जाएगी।
घायलों से मुलाकात के बाद पीएम मोदी सीधे एसपी ऑफिस पहुंचे। यहां वह परिवार भी मौजूद थे जिनके अपने मोरबी पुल गिरने से अपनी जान गंवा चुके हैं। इस मुलाकात के दौरान कई ऐसे पल आए जब पीएम मोदी और पीड़ित परिजन दोनों नि:शब्द दिखे लेकिन मौन होकर भी दु:खों के अथाह सागर को साझा करते दिखे। प्रधानमंत्री मोदी ने उन परिजन से शोक संवेदना प्रकट की। शोक जताने के साथ हर प्रकार की मदद का आश्वासन दिया।
शोक संतप्त परिवारों से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अपने अपनों को गंवा चुके बच्चों से भी मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस पल भी नि:शब्द हो गए जब अपने अपनों को गंवाने वाले दो मासूम बच्चे उसके पास आए। बच्चों को यहां तक बोध नहीं था कि वह अपनों को खो चुका है और उसी का शोक मनाने बड़े प्रधान आए हैं। इन बच्चों के मासूम चेहरों को देख वह भावुक हो गए।
गुजरात के गांधीनगर से करीब 300 किलोमीटर दूर मोरबी केबल पुल रविवार को दुबारा खोले जाने के चार दिन बाद गिर गया। हादसा के वक्त करीब 500 लोग उस पर सवार थे। इस दर्दनाक हादसे में कम से कम 134 लोगों की मौत हो गई। गुजरात के इस ऐतिहासिक पुल को निर्माण कार्य करने में अनुभवहीन कंपनी ने बनाने का टेंडर सरकार से हासिल किया था। बताया जा रहा है कि घड़ी व अन्य सामान बनाने वाली जानी मानी कंपनी ने टेंडर हासिल कर इस पुल का जीर्णोद्धार कराया था। पुल को गुजराती नव वर्ष के दिन आमजन के लिए खोला गया था। इसी कंपनी के पास इस पुल के टोल को वसूलने की भी जिम्मेदारी थी।
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