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कल 'बिप्लोबी भारत गैलरी' का उद्घाटन करेंगे PM मोदी, देश जान सकेगा स्वतंत्रता सेनानियों की अनजान कहानियां
कोलकाता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी( Prime Minister Shri Narendra Modi) 23 मार्च की शाम 6 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बिप्लोबी भारत गैलरी(Biplobi Bharat Gallery at Victoria Memorial Hall) का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री भी सभा को संबोधित करेंगे। गैलरी स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन(British colonial rule) के खिलाफ उनके सशस्त्र प्रतिरोध को प्रदर्शित करती है। इन घटनाओं को अक्सर स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्यधारा के आख्यान(narrative-घटनाक्रमों) में उचित स्थान नहीं दिया गया है। इस नई गैलरी का उद्देश्य 1947 तक की घटनाओं का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना और क्रांतिकारियों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है। देखें कुछ तस्वीरें...
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बिप्लोबी भारत गैलरी राजनीतिक और बौद्धिक पृष्ठभूमि को दर्शाती है जिसने क्रांतिकारी आंदोलन को गति दी। यह क्रांतिकारी आंदोलन के जन्म, क्रांतिकारी नेताओं द्वारा महत्वपूर्ण संघों के गठन, आंदोलन के प्रसार, भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन, नौसेना विद्रोह के योगदान, आदि को प्रदर्शित करता है।
भारत की आजादी में ऐसे कई स्वतंत्रता सेनानी सक्रिय रहे, जिनका किसी भी किताब या संदर्भों में व्यापक जिक्र नहीं मिलता। ऐसे ही महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में लोगों को अवगत कराने यह गैलरी बनाई गई है।
बिप्लोबी भारत गैलरी के जरिये उन शहीदों को याद करने की कोशिश है, जिनके संघर्षों की वजह से अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
बिप्लोबी भारत गैलरी के उद्घाटन के बाद यह आमजनों के देखने के लिए खोल दी जाएगी। यहां कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कहानियां पढ़ने को मिलेंगी।
शहीदों की याद में बन रही गैलरी
देश की आजादी में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में देश में कई गैलरीज बन चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त,2021 में आजादी की लड़ाई में शहीद हुए लोगों की स्मृति में बने जलियांवाला बाग स्मारक (Jallianwala smarak) के पुनर्निर्मित परिसर (renovated premises) को राष्ट्र को समर्पित किया था। जालियांवाला बाग अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के करीब है। यहां 13 अप्रैल, 1919 (बैसाखी के दिन) रौलेट एक्ट का विरोध करने एक सभा हो रही थी। इसमें जनरल डायर नामक अंग्रेज अफसर ने बेवजह भीड़ पर गोलियां चलवा दी थीं, जिसमें 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। 2000 से अधिक घायल हुए थे। हालांकि कुछ आंकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए थे। इस घटना का देशभर इतना व्यापक असर पड़ा था कि इसी के बाद अंग्रेजी हुकूमत की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। जलियांवाला बाग में लंबे समय से बेकार पड़ी और कम उपयोग वाली इमारतों को रिनोवेट करके चार संग्रहालय दीर्घाएं(museum galleries) तैयार की गई थीं। ये दीर्घाएं उस अवधि के दौरान पंजाब में घटित विभिन्न घटनाओं के विशेष ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं।