सार
आमतौर महिलाओं के करियर(women career) पर बच्चों की परवरिश के कारण ब्रेक लग जाता है। लेकिन कई महिलाओं ने शादी और बच्चों की जिम्मेदारी संभालते हुए दुबारा अपना करियर बनाया और एक मिसाल बनीं। ऐसी ही सक्सेस स्टोरी है रसायन शास्त्र में पीएचडी(PhD in Chemistry) डॉ. अमिता कुमारी(Dr. Amita Kumari) की। पढ़िए कैसे पाया अपना करियर..
नई दिल्ली.आमतौर महिलाओं के करियर(women career) पर बच्चों की परवरिश के कारण ब्रेक लग जाता है। लेकिन कई महिलाओं ने शादी और बच्चों की जिम्मेदारी संभालते हुए दुबारा अपना करियर बनाया और एक मिसाल बनीं। ऐसी ही सक्सेस स्टोरी है रसायन शास्त्र में पीएचडी(PhD in Chemistry) डॉ. अमिता कुमारी(Dr. Amita Kumari) की। इन पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने(pib.gov.in) एक स्टोरी जारी की है। पढ़िए कैसे पाई इन्होंने सफलता...
बेटी की देखभाल के चलते फैलोशिप छोड़नी पड़ी थी
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ (यूपी) से रसायन शास्त्र में पीएचडी डॉ. अमिता कुमारी को अपनी बेटी की देखभाल को लेकर आईसीएमआर में सीनियर रिसर्च फैलोशिप छोड़नी पड़ी थी, लेकिन अब उन्हें भारत की एक अग्रणी आईपीआर फर्म में बतौर पेटेंट एसोसिएट (विज्ञान) अपने वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करने के लिए एक मार्ग मिल गया है। चूंकि वह अपनी इकलौती बेटी की जिम्मेदारी और परिवार के प्रति कर्तव्यों के साथ कैरियर का तालमेल बनाने को लेकर संघर्ष कर रही थी, इसलिए डब्ल्यूओएससी प्रशिक्षण से उन्हें राहत मिली। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें भारतीय और विभिन्न विदेशी क्षेत्राधिकारों में पेटेंट आवेदनों की काफी विविधता को संभालने का पर्याप्त अनुभव मिला। महीने भर चलने वाले उन्मुखीकरण कार्यक्रम और प्रख्यात वक्ताओं के व्याख्यानों ने उनकी चिंतन शैली को बदल दिया।
ट्रेनिंग के दौरान बदल गया जीवन
डॉ.अमिता ने बताया-'कार्यक्रम में चयन मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। डब्ल्यूओएस-सी प्रशिक्षण के दौरान, मुझे पेटेंट आवेदनों की एक विशाल श्रृंखला को संभालने में पर्याप्त अनुभव प्राप्त हुआ। मुझे परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देने की जरूरत थी। करियर और परिवार के बीच तालमेल बनाना काफी चुनौतीपूर्ण था। डब्ल्यूओएस-सी कार्यक्रम(Women Scientist Scheme-C) के तहत किरण-आईपीआर चयन से मुझे मौका मिला। डब्ल्यूओएस-सी प्रशिक्षण से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और एक सफल आईपीआर पेशेवर बनने के अपने सपने को पूरा करने में मुझे मदद मिली।’’
यह काम कर रही हैं अमिता
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार द्वारा स्थापित और टीआईएफएसी द्वारा कार्यान्वित डब्ल्यूओएस-सी फेलोशिप के 11वें बैच के तहत अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, अमिता पेटेंट सहयोग जैसे अधिकार क्षेत्र और पेटेंट को-ऑपरेशन ट्रिटी (पीसीटी), यूरोपीय पेटेंट ऑफिस (ईपीओ), जापान पेटेंट ऑफिस (जेपीओ), यूनाइटेड स्टेट पेटेंट और ट्रेडमार्क ऑफिस (यूएसपीटीओ) कोरियन इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफिस (केआईपीओ), बौद्धिक संपदा के प्रभारी रूसी सरकारी एजेंसी रोस्पेटेंट, कनेडियन इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफिस (सीआईपीओ), चाइना नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनआईपीएम), सऊदी अथॉरिटी फॉर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (एसएसआईपी ) और ऑस्ट्रेलियन पेटेंट (एयूपीएट) जैसे फोरम के लिए मसौदा तैयार करने, दाखिल करने और मुकदमा चलाने का कार्य कर रही है। पेटेंट संचालन के उनके क्षेत्रों में मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल्स, केमिकल्स और नैनो-प्रौद्योगिकी शामिल हैं।
ज्ञान का उपयोग किया
डॉ. अमिता इस बात से संतुष्ट हैं कि घर और परिवार की जिम्मेदारियों के बावजूद वह आईपीआर के माध्यम से अपने वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करने में सक्षम हैं। डब्ल्यूओएस-सी प्रशिक्षण से न सिर्फ उन्हें आईपीआर कौशल विकसित करने में मदद मिली बल्कि महामारी के कठिन समय में नई दिल्ली में ’लेक्सऑर्बिस - बौद्धिक संपदा लॉ फर्म’ में नौकरी तलाशने में भी सहायता मिली।
डॉ. अमिता ने जोर देकर कहा, ’’यह एक अत्यंत सुविचारित कार्यक्रम है जो महिलाओं को करियर में एक ब्रेक के बाद मुख्यधारा के विज्ञान में लौटने और पारिवारिक कर्तव्यों तथा जिम्मेदारी को एक साथ संतुलित करने का अवसर प्रदान करता है।’’
उन्होंने कहा, ’’पीएचडी (रसायन विज्ञान) पूरी करने के बाद भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे सीएसआईआरख् सीसीआरएएस (आयुष मंत्रालय), आईसीएमआर और आईपीसी (इंडियन फार्माकोपिया कमीशन) में काम करने के बावजूद, मैं पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण एक वैज्ञानिक के रूप में अपना करियर जारी नहीं रख पाई। डब्ल्यूओएस-सी कार्यक्रम ने मुझे एक बार फिर विज्ञान की मुख्यधारा में शामिल होने का मौका दिया है।
डॉ. अमिता कुमारी से (amita.chaudhary12@gmail.com) पर संपर्क किया जा सकता है।