बच्चा कर सके ऑनलाइन पढ़ाई इसलिए महज इतने रुपए में ही बेच दी गाय, खरीदा स्मार्टफोन
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के बीच देशभर में स्कूल कॉलेज को सरकार ने बंद रखने के आदेश दिए हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से कराई जा रही है। इस आधुनिक दुनिया में अभी गांवों तक अभी स्मार्टफोन की पहुंच नहीं है क्योंकि अभी भी बहुत से ऐसे गरीब परिवार हैं, जो वक्त की रोटी का इंतेजाम कर पाएं उनके लिए उससे बढ़कर कुछ नहीं है। ऐसे में स्मार्टफोन खरीदना उनके लिए बड़ी बात है। इसी बीच एक ऐसी खबर मीडिया में आई कि किसान ने बच्चे को स्मार्टफोन से पढ़ाई करने के लिए गाय को बेच दिया।
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लॉकडाउन और कोरोना महामारी के बीच बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए स्मार्टफोन की जरूरत थी। पिता ने स्मार्टफोन खरीदने के लिए अपनी गाय बेच दी। गाय इस परिवार के आय का इकलौता माध्यम थी। गाय बिकी भी सिर्फ 6 हजार रुपए में। बच्चे शायद अब ऑनलाइन क्लास तो कर लें...पर न जाने अब इस परिवार का गुजारा कैसे होगा।
एक अंग्रेजी वेबसाइट की खबर के हवाले से कहा जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले के ज्वालामुखी स्थित गुम्मेर गांव में कुलदीप कुमार रहते हैं। मार्च से लगे लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद हैं। कुलदीप के बच्चे तब से घर पर ही हैं। उसके बच्चे अन्नू और दीपू क्लास 4 और क्लास 2 में पढ़ते हैं।
रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि जैसे ही स्कूल में ऑनलाइन क्लासेस शुरू हुई तो कुलदीप के ऊपर स्मार्टफोन खरीदने का दबाव बनने लगा। ताकि बच्चे उसके जरिए अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। एक महीने तक कुलदीप लोगों से 6000 रुपए उधारी मांगता रहा लेकिन उसकी मदद किसी ने नहीं की। वो बैंक भी गया और कई निजी ऋणदाताओं के पास गया, लेकिन उसकी गरीबी देखते हुए उसे किसी ने 6 हजार रुपए का लोन नहीं दिया।
स्कूल से टीचर्स ने कहा कि अगर बच्चों की पढ़ाई जारी रखनी है तो स्मार्टफोन खरीद कर लाओ। उस समय उनके पास 500 रुपए नहीं थे। वो 6000 रुपए का फोन कहां से लाते। ये उनके लिए बेहद कठिन काम था।
आखिरकार, जब उसे कहीं से कोई मदद नहीं मिली तो उसने अपनी गाय 6000 रुपए में बेच दी। उन पैसों से वह बच्चों के लिए स्मार्टफोन लेकर आया। ताकि, बच्चों की पढ़ाई जारी रह सके।
रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि कुलदीप के पास न तो बीपीएल कार्ड है और ना ही वह आईआरडीपी का लाभ लेते हैं। कुलदीप ने बताया कि उसने कई बार पंचायत में आर्थिक मदद के लिए आवेदन दिया लेकिन मदद नहीं मिली। उस आर्थिक मदद से वह अपना घर बनाना चाहता था, लेकिन कोई फायदा नहीं। साथ ही उसने कई बार पंचायत में कहा कि उनका नाम बीपीएल, आईआरडीपी और अंत्योदय योजना में जोड़ दिया जाए, लेकिन पंचायत में भी उसकी बात कोई नहीं सुन रहा है।