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ये हैं देवताओं के वकील, 92 साल की उम्र में रामलला को SC में दिलाया न्याय, अब घर से देखा भूमि पूजन
नई दिल्ली. अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राम मंदिर का भूमि पूजन किया। भूमि पूजन के लिए करीब 175 लोगों को निमंत्रण भेजा गया था। लेकिन कोरोना वायरस के चलते भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत तमाम लोग इस कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाए। इन्हीं में से एक नाम के परासरन का भी है। के परासरन सुप्रीम कोर्ट में रामलला के वकील रहे हैं। इतना ही नहीं वे रामजन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य भी हैं। परासरन ने अपने घर से ही पारंपरिक वेशभूषा में भूमि पूजन देखा।
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परासरन की घर से भूमि पूजन देखने की फोटो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। 92 साल के परासरन ने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की ओर से केस लड़ा। सुनवाई के दौरान के परासरन की उम्र को देखते हुए बैठकर दलील पेश करने की सुविधा भी दी गई, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वह भारतीय वकालत की परंपरा का पालन करेंगे।
जब परासरन बोले- खड़े होकर बहस करूंगा
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब परासरन अपनी सीट पर खड़े हुए तो तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उनसे पूछा था- क्या आप बैठकर बहस करना चाहेंगे? इस पर परासरन ने कहा, कोई बात नहीं, खड़े होकर ही बहस करने की परंपरा रही है।
'अयोध्या केस को खत्म करना ही अंतिम इच्छा'
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान, जब सीनियर वकील राजीव धवन ने हर रोज सुनवाई पर आपत्ति जताई तो परासन ने कहा था, "मरने से पहले मेरी अंतिम इच्छा इस केस को पूरा करने की है।"
'हिन्दू धर्मग्रंथों पर है अच्छी पकड़'
9 अक्टूबर, 1927 को तमिलनाडु के श्रीरंगम में जन्मे परासरन 70 के दशक से ही काफी लोकप्रिय रहे हैं। हिंदू धर्मग्रंथों पर उनकी बेहतरीन पकड़ रही है। उनके पिता केसवा अयंगर मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील थे। परासरन के तीनों बेटे मोहन, सतीश और बालाजी भी वकील हैं। यूपीए-2 के कार्यकाल में वो कुछ समय के लिए सॉलिसिटर जनरल भी थे।
भगवान अयप्पा के वकील रहें हैं परासरन
के परासरन को देवताओं का वकील कहा जाता है। इसके पीछे खास वजह है। वे रामलला के अलावा सबरीमाला मंदिर विवाद के दौरान उन्होंने महिलाओं को प्रवेश नहीं देने की परंपरा की वकालत की थी।
'61 साल पहले परासरन ने शुरु की थी प्रैक्टिस'
परासरन ने 1958 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। इमरजेंसी के दौरान वह तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल थे और 1980 में भारत के सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए थे। 1983 से 1989 तक उन्होंने भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में भी काम किया।
'पद्मभूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हैं परासरन'
परासरन को 2003 में भारत सरकार ने पद्मभूषण और 2011 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया। 2012 में उन्हें राज्यसभा की ओर से प्रेसिडेंशियल नॉमिनेशन भी दिया गया।