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सेना में रहकर हिजबुल कमांडर को उतारा मौत के घाट, अब PM Modi सहित लाखों हैं इनकी आवाज के मुरीद
| Published : Jan 25 2020, 02:14 PM IST / Updated: Jan 25 2020, 02:16 PM IST
सेना में रहकर हिजबुल कमांडर को उतारा मौत के घाट, अब PM Modi सहित लाखों हैं इनकी आवाज के मुरीद
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पीएम मोदी ने भी की थी तारीख- जेके बताते हैं कि पिछले साल फरवरी में दिल्ली में पूर्व सैनिकों के एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए पीएम मोदी ने मंच पर जाने से पहले मुझसे हाथ मिलाया और मेरी तारीफ की थी, हौसला बढ़ाया था।
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1993 में हिजबुल कमांडर को मार गिराया था- जेके ने 1993 में कश्मीर के बड़गांव में हिजबुल के कमांडर को मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके लिए उन्हें सेना में बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2009 में दिल्ली पोस्टिंग हुई। 2010 में आर्मी डे परेड के लिए कमेंट्री की। उसी साल पहली बार राजपथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड के लिए बोलने का मौका मिला। गणतंत्र दिवस पर करीब दो घंटे की कमेंट्री होती है।
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धनबाद, झारखंड के रहने वाले हैं जेके- जेके झारखंड के धनबाद के रहने वाले हैं। वह उद्धोषक बनने का श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं। उनका कहना है कि डीआरडीओ के एक कार्यक्रम के लिए उन्होंने अधिकारी का भाषण लिखकर दिया था। जब अधिकारी ने स्पीच पढ़ी तो जमकर तालियां और तारीफ मिलीं। तब कार्यक्रम में मौजूद मेरी पत्नी ने कहा आपके लिखे स्पीच की इतनी तारीख मिली। आप खुद ही क्यों न अपनी स्पीच लिखकर उसे पढ़े।
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तथ्यों को भी रोचक अंदाज में बताने का जादू- जीवन कुमार की कमेंट्री की खासियत है कि वह झांसी से जुड़े तथ्यों को भी रोचक अंदाज में बताते हैं। ऐसे में देखने वाले को भी रुची बढ़ जाती है। यह कमेंट्री में अपनी रचनाशीलता, ओजपूर्ण लेखनी और जादुई आवाज से शौर्य, ऊर्जा, बलिदान और समर्पण की भावनाएं भर देते हैं।
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साल 2010 से कर रहे हैं गणतंत्र दिवस में कमेंट्री- रिटायर्ड कर्नल जेके साल 2010 से ही गणतंत्र दिवस के मौके पर कमेंट्री कर रहे हैं। जेके को शानदार कमेंट्री के लिए सेना की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। यह वर्तमान में झारखंड पुलिस में एसपी (स्पेशल टास्क फोर्स) के पद पर कार्यरत हैं।
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जेके के नाम से जाने जाते हैं- रिटायर्ड कर्नल जीवन कुमार सिंह को उनके दोस्त जेके कहकर बुलाते हैं। 55 साल के जेके गणतंत्र दिवस पर कमेंट्री करने की भूमिका को अपना सौभाग्य मानते हैं।
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साल 2003 में पहली बार कमेंट्री की- साल 2003 में जेके ने पहली बार कमेंट्री की। शहीद लेफ्टिनेंट त्रिवेणी के स्मरण में आयोजिक एक कार्यक्रम में इसकी शुरुआत की, जिसे काफी पसंद किया गया।