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क्यों राहुल गांधी ने 'इमरजेंसी' को लेकर अपनी ही दादी को 'विलेन' बना दिया, जानिए 1975 में ऐसा क्या हुआ था

राहुल गांधी ने अपनी दादी इंदिरा गांधी के शासनकाल में लगाए गए आपातकाल को गलत ठहराकर सनसनी पैदा कर दी है। बेशक विपक्षी दल आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी को तानाशाह बताते रहे, लेकिन कांग्रेसी कभी इस विषय पर नहीं बोले। बता दें कि कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में बुधवार को प्रो. कौशिक बसु के साथ वर्चुअल डिस्कशन में राहुल ने कहा कि इमरजेंसी एक गलती थी। हालांकि वे मौजूदा मोदी सरकार के कार्यकाल की उससे तुलना कर रहे थे। आइए जानते हैं, आखिर इंदिरा का आपातकाल क्यों भारतीय राजनीति के इतिहास में एक काला अध्याय रहा है। 

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Asianet News Hindi
Published : Mar 03 2021, 10:14 AM IST| Updated : Mar 03 2021, 10:19 AM IST
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इसलिए लगाया था आपातकाल
आपातकाल के बीज 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में पड़ गए थे। इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट से राजनारायण को हराया था। जयप्रकाश नारायण के सबसे ताकतवर साथी राजनारायण ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई थी। इससे इंदिरा गांधी ने अपने खिलाफ माना और 25 जून, 1975 को आपातकाल लगा दिया था। 

(एक पुरानी तस्वीर)

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आपातकाल में संजय अपनी मां के सबसे बड़े सलाहकार थे। संजय गांधी की छवि भारत की राजनीति में कड़े फैसले लेने वाली रही है। यह और बात है कि आपातकाल के दौरान लिए गए उनके फैसले गांधी फैमिली के लिए निंदा का कारण बने। यहां तक कि इंदिरा गांधी को अपनी सरकार तक गंवाना पड़ी। 

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इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी ने जनसंख्या पर काबू करने 62 लाख पुरुषों की जबर्दस्ती नसबंदी करा दी थी। इस ऑपरेशन में करीब 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद के चुनावों में विपक्ष ने एक नारा दिया था- 'जमीन गई चकबंदी में, मकान गया हदबंदी में, द्वार खड़ी औरत चिल्लाए, मेरा मरद गया नसबंदी में!'  जबरिया नसबंदी का आइडिया इंदिरा गांधी को किसी और ने नहीं, उनके छोटे बेटे संजय गांधी और उनके खास चौधरी बंसीलाल ने दिया था। 

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चौधरी बंसी लाल दिसंबर 1975 से मार्च 1977 तक रक्षामंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने पुरुषों की नसबंदी कराने के क्रूर अभियान में पूरी भागीदारी की थी। बंसीलाल की मृत्यु 28 मार्च, 2006 में हुई थी।

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1977 के चुनाव में जनता के साथ मिलकर विपक्ष ने ऐसे कई नारे दिए थे, जो इंदिरा सरकार पर भारी पड़ गए। जैसे-संजय की मम्मी बड़ी निकम्मी, सन 1977 की ललकार, गांव-गांव जनता सरकार। संजय गांधी के विवादास्पद मारुति कार प्रोजेक्ट पर भी नारा बनाया था-बेटा कार बनाता है, मां बेकार बनाती है। इससे पहले बता दे कि 1971 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी ने नारा दिया था- वे कहते हैं कि इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ। दरअसल, इंदिरा हटाओ देश बचाओ का यह नारा समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया ने दिया था।

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आपातकाल 1975-77 के बीच करीब 21 महीने लागू रहा था। इस अवधि को समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने 'भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि' कहा था। इसके बाद के आम चुनाव में विपक्ष ने एक नारा दिया था-'द्वार खड़ी औरत चिल्लाए..मेरा मरद गया नसबंदी में!'
 

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