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हाथियों से प्यार के लिए लाखों की जॉब से लिया ब्रेक, अब बनेंगी इस राज्य की पहली मुस्लिम महावत
मलप्पुरम. केरल की रहने वाली शबना सुलेमान केरल की पहली मुस्लिम महिला महावत हैं। वे पांच फीट की हैं और अपने इशारों पर एक बड़े से हाथी को घुमाती दिखती हैं। उन्हें अपनी महावत की ट्रेनिंग लिए मुश्किल से सिर्फ 1 महीना हुआ है और वे मणिशेरी राजेंद्रन अपने इशारे पर उठाती, बैठाती, घुमाती हैं। 27 साल की शबना पेशे से मेडिकल प्रोफेशनल हैं और दुबई में जॉब करती थीं। वे कोझिकोड की रहने वाली हैं। लेकिन उन्होंने अपनी जॉब छोड़ दी है।
| Published : Jan 29 2020, 03:58 PM IST / Updated: Jan 29 2020, 04:36 PM IST
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टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन्होंने बताया, वैसे तो जानवरों को काबू करना बड़ा मुश्किल काम है। लेकिन मैं हाथी के साथ रोज की भाषा और संवाद का इस्तेमाल करती हूं। उन्होंने बताया कि वे उसे चेन से भी नहीं बांधती। इन सब वजहों से उनकी राजेंद्रन के साथ अच्छी बॉन्डिंग भी हो गई है।
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27 साल की शबना पेशे से मेडिकल प्रोफेशनल हैं और दुबई में जॉब करती थीं। वे कोझिकोड की रहने वाली हैं। लेकिन उन्होंने अपनी जॉब छोड़ दी है। अब वे पलक्कड़ जिले के ओट्टापलम में ट्रेनिंग ले रही हैं। ओट्टापलम को हाथियों का घर माना जाता है।
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अगर सब कुछ ठीक रहेगा तो वे पलक्कड़ में टेंपल फेस्टिवल में मणिशेरी राजेंद्रन की महावतों में से एक होंगी। इसके साथ ही वे राज्य की पहली महिला मुस्लिम महावत होंगी।
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शबना ऐसे परिवार से आती हैं, जो जानवरों को प्यार करता है। उनके दादा ने ग्रेट मालाबर सर्कस शुरू किया था। यह केरल की पहली सर्कस कंपनी थी। शबना के दादा अब हाथियों पर किताब लिखने के बारे में सोच रहे हैं।
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हाथियों पर रिसर्च कर रहीं थीं शबना : शबना जब हाथियों के विषय पर शोध कर रही थीं तो उन्हें लगा कि हाथियों के करीब रहकर इसे ज्यादा अच्छे से समझा जा सकता है।
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इसके बाद वे ओट्टापलम में मणिशेरी हरिदास के पास पहुंचीं, जिनके पास तीन हाथी हैं। उन्होंने हाथी को काबू में करने के बारे में सीखने के लिए अनुमति मांगी। शबना की दिलचस्पी देखते हुए वे इसके लिए राजी हो गए।
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शबना बेसिक सीख चुकी हैं। जल्द ही वे ट्रेनिंग का दूसरा चरण सीखेगीं। जिससे वे फेस्टिवल में हिस्सा ले सकेंगी। उन्होंने बताया कि वे टेंपल फेस्टिवल के लिए काफी उत्साहित हैं और इस स्थिति में वे और अच्छे से सीख सकती हैं। शबना ने कहा, हरिदास बताते हैं कि वे पहली मुस्लिम महिला हैं, जो महावत की ट्रेनिंग लेंगी।