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सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन खारिज की, अब निर्भया के दोषियों को होकर रहेगी फांसी
नई दिल्ली. निर्भया के दो दोषियों विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने दोनों दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दिया है। अब दोषियों के पास आखिरी विकल्प राष्ट्रपति के पास दया याचिका बचती है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को एक साथ 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी देने का वक्त तय किया है। पटियाला हाउस कोर्ट के डेथ वॉरन्ट जारी करने के बाद चारों दोषियों को अलग-अलग सेल में रखा गया है। यूपी से पवन जल्लाद को फांसी देने के लिए बुलाया गया है।
| Published : Jan 14 2020, 02:05 PM IST / Updated: Jan 15 2020, 01:28 PM IST
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सभी को दिया जा रहा है नॉर्मल खाना : डेथ वॉरन्ट जारी होने के बाद सभी दोषियों को नॉर्मल खाने पर रखा गया है। कोई स्पेशल डिमांड नहीं सुनी जा रही है।
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जायदाद किसी के नाम करनी है तो बता दें : जेल प्रशासन ने चारों दोषियों से कह दिया है कि अगर कोई दोषी अपनी जायदाद किसी के नाम करना चाहता है तो बता दे, उसे मौका दिया जाएगा। लेकिन इस मामले में किसी भी दोषी का कोई जवाब नहीं आया है।
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अंगदान की याचिका खारिज : इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के अंगदान के लिए मनाने की अनुमति मांगने वाली एनजीओ की याचिका खारिज कर दी गई। एनजीओ की ओर से यह याचिका 7 जनवरी को तब दायर की गई थी, जब अदालत ने दोषियों को फांसी देने की तारीख और समय तय किया था।
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निर्भया के साथ क्या हुआ था? : दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।
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दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।