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ये हैं दुनिया के 10 सबसे खतरनाक लड़ाकू हेलिकॉप्टर, पहले नंबर वाला अपाचे है भारत के पास
नई दिल्ली। जंग के मैदान में लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की भूमिका अहम होती है। क्लोज एयर सपोर्ट देना हो या हमला करना, ये दुश्मन पर कहर बरपाने की ताकत रखते हैं। पहले हेलिकॉप्टर को सिर्फ जंग के मैदान में सैनिकों पहुंचाने और उन्हें वापस लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। वियतनाम की जंग में अमेरिकी सैनिकों ने हेलिकॉप्टरों पर मशीन गन लगाया और उन्हें एक लड़ाकू मशीन में तब्दील कर दिया।
इसके बाद से लड़ाकू हेलिकॉप्टर बनाने की दिशा में बहुत काम हुआ। अमेरिका, रूस, चीन या भारत दुनिया के सभी ताकतवर देशों की वायुसेना के पास लड़ाकू हेलिकॉप्टर हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इनमें से सबसे अधिक खतरनाक कौन है? आइए दुनिया के सबसे खतरनाक 9 लड़ाकू हेलिकॉप्टर के बारे में जानते हैं। इन्हें इनकी परफॉर्मेंस, फायरपावर, प्रोटेक्शन और एवियोनिक्स के चलते चुना गया है।
| Published : Jul 19 2022, 07:27 AM IST / Updated: Jul 20 2022, 03:29 PM IST
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AH-64E अपाचे हेलिकॉप्टर को दुनिया का सबसे खतरनाक लड़ाकू हेलिकॉप्टर माना जाता है। भारत ने अमेरिका से 22 अपाचे हेलिकॉप्टर खरीदा है। यह हेलफायर 2 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस है। यह मिसाइल फायर एंड फॉर्गेट मोड में काम करता है। इसका मतलब है कि मिसाइल फायर हुआ तो अपने टारगेट को नष्ट करके ही रहेगा। इसके साथ ही हेलिकॉप्टर में 30 एमएम का तोप भी लगा है।
दूसरे नंबर पर Bell AH-1Z Viper है। इस हेलिकॉप्टर को अमेरिकी सेना के मरीन जवान इस्तेमाल करते हैं। इसमें 20 एमएम का तीन बैरल वाला तोप लगा है। यह एक बार में 16 हेलफायर एंटी टैंक मिसाइल लेकर उड़ान भर सकता है। इसके साथ ही इसे रॉकेट पॉड और हवा से हवा में मार करने वाले साइड वाइंडर मिसाइल से भी लैस किया जा सकता है।
रूस द्वारा बनाया गया Kamov Ka-52 Hokum-B तीसरे नंबर पर है। इसकी गिनती सबसे तेज और फुर्तीले हेलिकॉप्टरों में होती है। इसमें 30 एमएम का तोप लगा है। यह अपने साथ 12 Vikhr एंटी टैंक मिसाइल लेकर उड़ता है। इस हेलिकॉप्टर को रॉकेट पॉड और हवा से हवा में मार करने वाले इग्ला-वी मिसाइल से लैस किया जा सकता है।
Mi-28 Havoc चौथे नंबर पर है। इसे रूसी सेना इस्तेमाल करती है। इसे दुनिया के सबसे मजबूत कवच वाला हेलिकॉप्टर माना जाता है। हमला होने की स्थिति में इसमें पायलट के लिए बचकर निकलने की व्यवस्था भी है। इसे आठ अटाका एंटी आर्मर मिसाइल से लैस किया गया है। इसके साथ ही इसमें रॉकेट पॉड और 30 एमएम का तोप भी लगा है।
पांचवें नंबर के हेलिकॉप्टर यूरोकॉप्टर टाइगर को फ्रांस और जर्मनी ने मिलकर विकसित किया है। इसे स्टिल्थ फीचर से भी लैस किया गया है। अफगानिस्तान, लीबिया और माली की लड़ाई में इसका इस्तेमाल हुआ है। इसके दो वर्जन हैं। एक है अटैक वर्जन और दूसरा है स्कॉर्ट वर्जन। अटैक वर्जन को HOT-3 एंटी टैंक मिसाइल, अनगाइडेड रॉकेट्स और हवा से हवा में मार करने वाले स्टिंगर मिसाइल से लैस किया गया है। इसमें तोप नहीं लगा है। वहीं, स्कॉर्ट वर्जन में 30 एमएम का तोप, अनगाइडेड मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाला मिस्ट्रल मिसाइल लगा है।
छठे नंबर पर चीन का जेड 10 हेलिकॉप्टर है। इसमें 30 एमएम का तोप लगा है। इसके साथ ही इसे HJ-10 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और TY-90 हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल से लैस किया गया है। यह अपने साथ अनगाइडेड रॉकेट पॉड भी लेकर उड़ान भर सकता है।
सातवें नंबर पर दक्षिण अफ्रीका का Denel AH-2 Rooivalk हेलिकॉप्टर है। इसे एंटी टैंक मिसाइल ZT-6 Mokopa से लैस किया गया है। यह अमेरिका के हेलफायर जैसा मिसाइल है। इसके साथ ही यह अपने साथ 16 छोटे एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल TOW लेकर उड़ान भर सकता है। दक्षिण अफ्रीका की सेना सिर्फ 11 Rooivalk हेलिकॉप्टर इस्तेमाल कर रही है। फंडिंग की परेशानी के चलते और अधिक हेलिकॉप्टर नहीं बनाए गए हैं।
आठवें नंबर के हेलिकॉप्टर A129 मंगुस्ता को इटली की कंपनी अगुस्ता ने बनाया है। इसकी गिनती सबसे कम वजन वाले लड़ाकू हेलिकॉप्टरों में होती है। दूसरे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की तुलना में इसका कवच कम है। इसे एंटी टैंक मिसाइल हेलफायर और TOW से लैस किया जा सकता है। यह हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल स्टिंगर और मिस्ट्रल भी इस्तेमाल कर सकता है।
रूस का Mi-24 9वें नंबर पर है। यह दुनियाभर में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला लड़ाकू हेलिकॉप्टर है। भारत ने भी इसे रूस से इसे खरीदा था। रूस ने करीब 50 देशों को यह हेलिकॉप्टर बेचा था। 1970 से इसका निर्माण शुरू हुआ था। रूस ने 2300 से अधिक Mi-24 हेलिकॉप्टर बनाए थे। इनमें से करीब 1500 अभी भी इस्तेमाल हो रहे हैं। इसमें दो बैरल वाला 23 एमएम का तोप लगा है। लड़ाकू हेलिकॉप्टर होने के साथ ही यह अपने साथ आठ सैनिकों को लेकर उड़ान भर सकता है।