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मरने के बाद शरीर में कितनी देर रहता है कोरोना? क्या संक्रमित व्यक्ति की लाश से भी हो सकती है मौत

नई दिल्ली. कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में डर पैदा कर दिया है। सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के जरिए लोग अपने जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना से मरने वालों के लिए भी अलग से गाइड लाइन जारी की गई है। लेकिन क्या कोरोना से मरने वालों का शव भी संक्रमण फैला सकता है? कोरोना से मरने वाले के शरीर में वायरस कितने देर से एक्टिव रहता है? आज इन्हीं सवालों के जवाब देते हैं। 

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Asianet News Hindi
Published : Apr 18 2020, 03:32 PM IST
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मौत के बाद भी शरीर में जिंदा रहता है वायरस- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसी शख्स की मौत के साथ ही उसके शरीर का कोरोन वायरस नहीं मरता है। वायरस शरीर में तब तक जिंदा रहता है जब तक  व्यक्ति के शरीर में फ्लूड यानी तरल रहता है। अगर उसे दफना दिया जाए तो उसके शरीर का तरल खत्म होने में करीब 3-4 दिन लग जाते हैं।
 

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अगर किसी दफनाए व्यक्ति को 3-4 दिन के अंदर निकाला जाता है तो उससे दूसरे व्यक्ति को संक्रमित होने का खतरा रहता है। 

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अब सवाल उठता है कि अगर शव को दफनाने की बजाय जला दिया जाए तो क्या ज्यादा सुरक्षित होगा। इसपर मीडिया रिपोर्ट्स में पता चलता है कि दोनों ही तरीके सुरक्षित हैं। डब्ल्यूएचओ ने इबोला के दौरान एक एडवाइजरी जारी की थी कि मरने वाले संक्रमित व्यक्ति को दफना सकते हैं, लेकिन कुछ बचाव के उपाय करने होंगे। हालांकि जलाने के बाद राख से कोई इन्फेक्शन नहीं होता होता है। जबकि दफनाने के बाद 3 से 4 दिन तक खतरा बना रहता है। 

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दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने शवों से वायरस फैलने पर एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था, कोरोना वायरस शवों से नहीं फैल सकता है। ये रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिक्विड कफ, लार से फैलता है। ये खांसी या छींकने से फैलता है। इसलिए शवों के अंतिम संस्कार से कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस, शवों को जलाने से हवा में नहीं फैलता है। 

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चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों को दफनाने की बजाय जलाया जा रहा है। वहां पर तो सरकार की इतनी सख्ती है कि अगर परिवार के लोग जलाने पर राजी नहीं होते हैं तो भी हॉस्पिटल को भी अधिकार दिए गए हैं कि शव को जला दें। हालांकि इसके पीछे एक वजह यह भी है कि चीन में संक्रमण से इतनी ज्यादा मौते हुईं कि दफनाने की प्रक्रिया काफी कठिन हो जाती। 

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भारत में भी दफनाने और जलाने को लेकर विवाद उठा था। मुंबई में तो जलाने को लेकर आदेश भी निकाला गया, लेकिन विवाद होने के बाद वापस ले लिया गया। 

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शवों को जलाने और दफनाने, दोनों से कोई दिक्कत नहीं है, बस सरकार की गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। गाइडलाइन के मुताबिक, अंतिम संस्कार के दौरान 20 से ज्यादा लोग इकट्ठा न हो। इसके अलावा शव को छू नहीं सकते हैं, उसे चूम नहीं सकते हैं, उसे नहला-धुलाकर नए कपड़े नहीं पहना सकते हैं। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, शव को एक सील पैक बैग में रखना चाहिए। इसके अलावा हल्के नहीं बल्कि गहरे गड्ढे में दफनाना चाहिए। 

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