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इंसान हो या जानवर, जो जहां था वहीं पड़े-पड़े बेहोश या फिर मौत हुई...चश्मदीद ने बताया हादसे की कहानी
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बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक भाग रहे थे
एक चश्मदीद के मुताबिक, जैसे-जैसे लोग गैस के आगोश में आ रहे थे, उन्हें सांस लेने में दिक्कत और जलन होने लगी। लोग घबराकर घरों से बाहर निकले तो वहां भी चैन नहीं मिला। उल्टा बेहोश होकर गिरने लगे।
नाले, डिवाइडर पर गिरने लगे लोग
चश्मदीद ने बताया कि गैस की वजह से बहुत सारे लोग चक्कर खाकर गिर रहे थे। कोई नाले में गिरा तो कोई सड़क पर ही गिर पड़ा। कोई डिवाइडर पर पड़ा था। जो भी गैस के संपर्क में आया, उसे कुछ ही मिनटों में बेहोशी आ गई।
गैस के संपर्क में आते ही शरीर पर पड़ने लगे चकत्ते
एक चश्मदीद ने बताया कि जो भी जहरीली गैर के संपर्क में आया, उसके शरीर पर बड़े-बड़े चकत्ते पड़ने लगे। आंखों से पानी आने लगा। यहां तक कि आंख खोलने और बंद करने में भी दिक्कत होने लगी।
पूरे इलाके को कराया गया खाली
लोगों को एम्बुलेंस और पुलिस वाहनों के जरिए सीधे केजीएच हॉस्पिटल ले जाया गया। पूरे क्षेत्र को खाली करवा दिया गया है। पुलिस लोगों को हॉस्पिटल पहुंचा रही थी।
गैस से रिसाव से 5000 लोग बीमार
गैस के रिसाव के कारण 5000 लोग बीमार हैं और प्लान्ट के आसपास करीब 3 किलोमीटर के दायरे में दहशत का माहौल बन गया है। काफी लोग सड़कों पर बेहोश हो गए। प्लान्ट के आसपास के 5 गांवों को खाली करा लिया गया है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि और भी लोग इससे हताहत हो सकते हैं।
LGPI में पॉलिमर के क्षेत्र में डेवलपमेंट, प्रोडक्शन और सर्विसेस का का काम होता है। यह कंपनी भारत और दुनिया भर में अपने पेशेवर नजरिए और सेवाओं के लिए जानी जाती है। कंपनी की स्थापना 1961 में भारत के विशाखापट्टनम में पॉलीस्टाइन और इसके पॉलिमर के निर्माण के लिए 'हिंदुस्तान पॉलिमर' के रूप में की गई थी। 1978 में UB ग्रुप के Mc डॉवेल एंड कंपनी लिमिटेड के साथ इसका विलय हो गया।
एलजी केमिकल ने भारत को एक महत्वपूर्ण बाजार माना और अपनी अग्रेसिव डेवलपमेंट प्लानिंग से हिंदुस्तान पॉलिमर का 100 फीसदी अधिग्रहण कर भारतीय बाजार में इसे एक मजबूत पहचान दी।
जहरीली गैस का नाम स्टीरीन था
एलजी पॉलिमर से स्टीरीन गैस लीक हुई। किंग जॉर्ज अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि प्लांट से रिसने वाली गैस दिमाग और रीढ़ पर असर करती है।
बाहरी वातावरण में और खतरनाक हो जाती है गैस
बाहरी वातावरण में आने के बाद स्टीरीन ऑक्सिजन के साथ आसानी से मिक्स हो जाती है। नतीजतन हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है।
फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है, घुटन होती है
स्टीरीन गैस के संपर्क में आने के बाद लोगों के फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और वे घुटन महसूस करने लगते हैं।
गैस दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर असर करती है
डॉक्टर के मुताबिक, यह गैस बाद में दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर भी असर करती है। इस वजह से गैस के संपर्क में आने वाले स्थानीय लोग सड़कों पर इधर-उधर गश खाकर गिर पड़े।
गैस से 10 मिनट के अंदर हो सकती है मौत
कुछ डॉक्टरों ने बताया कि स्टीरीन न्यूरो-टॉक्सिन गैस है, जिसके संपर्क में आने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है। इससे 10 मिनट के भीतर प्रभावित व्यक्ति की मौत हो सकती है।
प्रभावित इलाकों में प्रदेश सरकार व्यापक स्तर पर बचाव कार्य में जुटी है। लोगों को गीले मास्क पहनने के लिए दिए जा रहे हैं। इससे काफी हद तक गैस के दुष्प्रभावों से बचाव किया जा सकता है।
प्लांट के 3 किमी. दूर तक असर
5 हजार से अधिक लोग बीमार हो गए है। गैस रिसाव के चलते प्लांट के 3 किमी के दायरे तक लोगों में दहशत फैली हुई है। कई लोग सड़क पर ही बेहोश पड़े हुए हैं जबकि कइयों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। लोगों ने आंखों में जलन और स्किन में रैशेज की शिकायत भी की।
गुरुवार को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम (Visakhapatnam gas leak accident) स्थित एक प्लांट में अचानक केमिकल गैस लीक ( Andhra Pradesh Gas Tragedy) होने से बड़ा हादसा हो गया।
एनडीआरएफ की टीम तैनात
घटनास्थल पर एनडीआरएफ की टीमें तैनात हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी भी कुछ देर में घटनास्थल पर पहुंचने वाले हैं।
गोपालपटनम सर्कल इंस्पेक्टर रमनया ने कहा कि करीब 50 लोग सड़कों पर बेहोश पड़े हुए हैं और घटनास्थल पर पहुंचना मुश्किल होता जा रहा है। पुलिस लोगों से घर से बाहर आने और सुरक्षित जगहों पर जाने की अपील कर रही है।
हादसे की खबर लगते ही आसपास से कई लोग मदद के लिए पहुंचे, लेकिन वो ही प्रभावित एरिया में पहुंचते ही बेहोश होकर गिर गए।
आसपास के घरों में भी लोग बेहोश मिले। कुछ लोगों के शरीर पर लाल निशान पड़ गए। फिलहाल गैस से प्रभावित लोगों का इलाज चल रहा है।
जो लोग वेंटिलेटर पर हैं, उनके लिए आंध्रप्रदेश सरकार की ओर से कुल 10 लाख रुपए की मदद दी जाएगी।