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7 मार्च को 'ब्रिगेड परेड ग्राउंड' तय कर देगा, बंगाल में किसकी सरकार, जानिए 1919 से इस ग्राउंड की कहानी
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बता दें कि बंगाल में पहले चरण में 294 में से 30 सीटों पर 27 मार्च को वोट डाले जाएंगे। दूसरे चरण में 30 सीटों पर एक अप्रैल को, तीसरे चरण में 31 सीटों पर 6 अप्रैल को, चौथे चरण में 44 सीटों पर 10 अप्रैल को, पांचवे चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को, छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को और आठवें चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को वोटिंग होगी। नतीजे पांचों राज्यों के चुनाव के बाद एक साथ 2 मई को आएंगे।
बात 2019 के लोकसभा चुनाव की करें, तो जब इस 'ब्रिगेड परेड ग्राउंड' पर मोदी ने सभा ली थी, तब जनसैलाब उमड़ पड़ा था। जबकि 21 जनवरी 2019 को ममता की अगुआई में यूनाइटेड इंडिया रैली में पूरे विपक्ष को सुनने अपेक्षाकृत कम भीड़ थी। तभी लोगों ने मान लिया था कि लोकसभा में विपक्ष की हार होनी है। इसमें भाजपा ने 42 में से 18 सीटें जीती थीं।
बंग, बांग्ला और बंगाल की पहचान बन चुके 'ब्रिगेड परेड ग्राउंड' का इतिहास काफी पुराना है। 1857 में अंग्रेजों ने पलासी का युद्ध जीता था और वे बंगाल पर काबिज हो गए थे। यहां अंग्रेजों ने फोर्ट विलियम महल बनाया था। इसमें इंग्लैंड के तीसरे किंग विलियम रहते थे। इस किले में अंग्रेजी फौज रहती थी। इनकी परेड के लिए इस मैदान को तैयार किया गया था।
'ब्रिगेड परेड ग्राउंड' में पहली जनसभा 1919 को हुइ थी। इसमें चितरंजनदास सहित तमाम क्रांतिकारियों ने ओजस्वी भाषण दिए थे।
(बायें से चितरंजनदास, नेहरू और बोस)
1955 को सोवियत के प्रीमियर निकोलाई बुल्गानिन और सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के पहले सचिव निकिता ख्रुश्चेव के सम्मान में इसी ग्राउंड पर एक भव्य आयोजन हुआ था। इसमें भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू शामिल हुए थे।
1972 में जब बांग्लादेश का निर्माण हुआ, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौजूदगी में इसी 'ब्रिगेड परेड ग्राउंड' से बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री मुजीब-उर-रहमान ने भारत की तारीफ की थी।
1992 में ममता बनर्जी ने यूथ कांग्रेस नेता के तौर पर इसी 'ब्रिगेड परेड ग्राउंड' से माकपा को बंगाल से उखाड़ फेंकने का ऐलान किया था। अब बता दें कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने से पहले भी मोदी इसी मैदान में एक सभा ले चुके हैं।