- Home
- National News
- बर्ड फ्लू में भी खा सकते हैं चिकन और अंडा, बस उसे 70 डिग्री सेल्सियस पर पका लें, जानें और क्या-क्या उपाय हैं?
बर्ड फ्लू में भी खा सकते हैं चिकन और अंडा, बस उसे 70 डिग्री सेल्सियस पर पका लें, जानें और क्या-क्या उपाय हैं?
| Published : Jan 09 2021, 08:25 AM IST / Updated: Jan 11 2021, 09:49 AM IST
बर्ड फ्लू में भी खा सकते हैं चिकन और अंडा, बस उसे 70 डिग्री सेल्सियस पर पका लें, जानें और क्या-क्या उपाय हैं?
Share this Photo Gallery
- FB
- TW
- Linkdin
112
बर्ड फ्लू के कारण पोल्ट्री में मुर्गियों की मौत हो रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस समय चिकन और अंडा खाना सुरक्षित होगा? डब्ल्यूएचओ ने खुद इसका जवाब दिया है।
212
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जब तक चिकन या अंडे को ठीक से तैयार और पकाया जाता है, तब तक यह खाने के लिए सुरक्षित है।
312
WHO ने कहा, चिकन को अच्छे से पकाकर ही खाए। करीब 70 डिग्री सेल्सियस पर खाना पकाने पर वायरस खुब ब खुद मर जाते हैं। ऐसे में अच्छे से पका खाना बर्ड फ्लू में भी खाया जा सकता है।
412
WHO का कहना है कि कसाईघरों में काम करने वाले और बीमार मुर्गियों के संपर्क में आने वाले इंसान में ही यह वायरस मिलता है। इनसे खुद को बचाने की कोशिश करें। बर्ड फ्लू का वायरस H5N1 गंभीर संक्रमण फैलाने के लिए जाना जाता है। यह पक्षियों में सांस से जुड़ी बीमारी की वजह बनता है। इसे एवियन इनफ्लुएंजा कहते हैं।
512
बर्ड फ्लू से संक्रमित होने वालों में 60% लोगों की मौत हो जाती है। लेकिन अच्छी बात ये है कि ये पक्षियों से इंसानों में जल्दी नहीं फैलता है। इससे भी अच्छी बात ये है कि ये इंसानों से इंसानों में नहीं फैलता है।
612
भारत में तो बर्ड फ्लू से किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन साल 1997 में चीन के हांगकांग में 18 लोग बर्ड फ्लू से संक्रमित हुए थे, जिसमें 6 लोगों की बीमारी से मौत हो गई थी।
712
भारत में बर्ड फ्लू की पहली रिपोर्ट 19 फरवरी 2006 को महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के नवापुर गांव से आई। ग्रामीणों ने गांव में कई पक्षियों की मौत की सूचना दी। महाराष्ट्र राज्य पशुपालन मंत्रालय के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच की। लैब में जांच करने पर पता चला कि मुर्गी H5N1 वायरस से संक्रमित थी।
812
बर्ड फ्लू के वायरस पक्षियों में सीधे आंत को संक्रमित करते हैं, लेकिन इंसानों में ऐसा नहीं है। इंसानों में ये वायरस सांस नली पर हमला करते हैं, जिससे सांस लेने से जुड़ी बीमारियां जैसे निमोनिया या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) हो सकती हैं। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश और कभी-कभी पेट दर्द और दस्त शामिल हैं।
912
पहली बार 1996 में चीन में गीज में इस वायरस (H5N1) का पता चला। जहां तक मनुष्यों में इस वायरस के होने का सवाल है तो अगले ही साल यानी 1997 में हांगकांग में एक मुर्गी के जरिए इंसान में इस वायरस के होने का पता चला। वायरस का नाम H5N1 स्ट्रेन था, जिससे 18 संक्रमित इंसानों में से 6 की बीमारी से मृत्यु हो गई।
1012
आमतौर पर संक्रमित जीवित या मृत पक्षियों के संपर्क में आने वाले लोग H5N1 बर्ड फ्लू से संक्रमित हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। अभी तक इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं। डब्लूएचओ का कहना है कि अच्छी तरह से तैयार और पके हुए भोजन के माध्यम से इसे फैलने से रोक सकते हैं। वायरस गर्मी के टिक नहीं पाते हैं और खाना पकाने के तापमान में मर जाता है।
1112
कोई भी वायरल लगातार अपना दूसरा स्टेन तैयार करते हैं। उनमें से कुछ स्टेन पहले से कमजोर या घातक हो सकते हैं। ऐसे में अगर बर्ड फ्लू का वायरस कोई ऐसा स्टेन तैयार कर लेता है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित हो जाता है तो मानव कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है और एक महामारी का कारण बन सकता है। H5N1 से प्रभावित इंसानों में से 60% की मृत्यु हो जाती है।
1212