- Home
- National News
- महीने में 3 बार नहा पाते हैं नौसैनिक, हजारों फीट नीचे पनडुब्बी के अंदर इतनी कठिन है 1 जवान की लाइफ
महीने में 3 बार नहा पाते हैं नौसैनिक, हजारों फीट नीचे पनडुब्बी के अंदर इतनी कठिन है 1 जवान की लाइफ
नई दिल्ली. 8 जून को विश्व महासागर दिवस (world ocean day) मनाया जाता है। समुद्र के महत्व और लोगों की वजह से आने वाली चुनौतियों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल मनाया जाता है। विश्व महासागर दिवस के मौके पर हम आपको भारत की ऐसी फोर्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने महासागरों को ही अपना घर बना लिया है। वे महीनों तक समुद्र तल से 1000 फीट तक नीचे रहकर देश की सेवा में डटे रहते हैं। हम बात कर रहे हैं, इंडियन नेवी यानी भारतीय नौसेना के जवानों की। नौसेना के जवान जब मिशन के तहत जाते हैं तो इन्हें महीनों तक पनडुब्बी में पानी के अंदर रहना पड़ता है। आईए जानते हैं कि एक नौसैनिक का जीवन पनडुब्बी के अंदर कितना कठिन होता है।
- FB
- TW
- Linkdin
लगातार 45 दिन तक करते हैं काम
एक नौसैनिक का जीवन काफी कठिन होता है। उनके परिवार वाले बताते हैं कि उनका बेटा जब भी किसी मिशन पर जाता है तो यह मिशन कम से कम 20-30 दिन का होता है। कभी कभी यह 45 दिन तक लगातार काम करना होता है।
परिवार वालों को नहीं पता होता कहां है बेटा?
जब नौसैनिक मिशन पर जाता है तो उसके परिवार वालों को भी नहीं पता होता कि उनका बेटा कहा है। बस ये पता होता है कि वह ड्यूटी पर है। उन्हें ये भी नहीं पता होता कि उनका बेटा कहां जा रहा है और कितने दिन बाद वापस आएगा।
सिर्फ अफसरों को होती है मिशन की जानकारी
नौसेना के ऑपरेशन की जानकारी सिर्फ कुछ अफसर और मुख्यालय तक होती है। नौसैनिक लगातार 30-40 दिन तक परिवार से दूर पानी में रहते हैं।
महीने में मुश्किल में 3 बार नहा पाते हैं
नौसैनिक का जीवन काफी कठिन होता है। यहां तक की उसे नहाना तो दूर दाढ़ी बनाने का भी मौका नहीं मिलता। नौसैनिक 30 दिन की ड्यूटी में मुश्किल से 3 बार नहा पाता है। नौसैनिक को सिर्फ हर रोज 3-4 मग ही पानी मिलता है। पानी के भीतर बिना दाढ़ी बनाए ही रहना होता है।
एक कपड़े चार दिन तक पहनते हैं
नौसैनिक को पहनने के लिए जो कपड़े दिए जाते हैं, उन्हें वे 2-4 दिन तक इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद उन्हें फेंक दिया जाता है।
कम मसालों वाला खाना खाते है
नौसैनिक को खाने में बिना तड़के की दाल, रोटी, चावल और सादी सब्जी मिलती है। पनडुब्बी में खाने का सामान बेहद सीमित होता है। कभी कभी सैनिकों को डिब्बे में बंद खाना दिया जाता है, जो काफी दिनों तक खराब नहीं होता।
धुंआ ना उठे ऐसा खाना बनाया जाता है
अगर नौसैनिक पनडुब्बी में खाना बना रहे हैं तो वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि वे ऐसा खाना बनाएं जिससे धुआं ना उठे। इसलिए खाना बिल्कुल सादा बनाया जाता है। इसके अलावा पनडुब्बी समुद्र में जाती है तो डॉक्टर और प्राथमिक चिकित्सा का सामान भी साथ होता है। इससे विपरीत वक्त में उनका वहीं इलाज हो सके।
सोने के लिए होते हैं दो कंपार्टमेंट
पनडुब्बी में नौसैनिकों के सोने के लिए दो अपार्टमेंट होते हैं। कभी कभी नौसैनिक मिसाइल या टारपीडो रखने वाली जगहों को सोने के लिए इस्तेमाल करते हैं। क्यों कि ये जगह अन्य जगहों से काफी अधिक ठंडी होती है।
पनडुब्बी के भीतर सूरज की रोशनी तक नहीं जाती
पनडुब्बी के अंदर सूरज की रोशनी भी नहीं जाती। इसीलिए कुछ समय के लिए पनडुब्बी समुद्र की सतह पर आती है। इससे नौसैनिक अपने शरीर को कुछ धूप दे सकें।
कानों पर पड़ता है गहरा असर
समुद्र के भीतर इतने दिनों तक रहने से नौसैनिकों के कानों पर भी गहरा असर पड़ता है। इसलिए पनडुब्बी के भीतर सैनिक अपने कानों का ख्याल रखते हैं।