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बेहद सरल माने जाते हैं गोवा के नए मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, जानिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से यहां तक का सफर
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डॉक्टर प्रमोद पांडुरंग सावंत
49 साल के डॉ. प्रमोद सावंत का जन्म 24 अप्रैल 1973 को हुआ। सैंकलिम विधानसभा से विधायक सावंत का पूरा नाम डॉ. प्रमोद पांडुरंग सावंत है। उनकी मां पद्मिनी सावंत और पिता पांडुरंग सावंत हैं।सावंत ने आयुर्वेदिक चिकित्सा में महाराष्ट्र के कोल्हापुर की गंगा एजुकेशन सोसायटी से ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद उन्होंने सोशल वर्क में पोस्ट ग्रेजुएशन पुणे की तिलक महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी से किया। सावंत किसान और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के प्रैक्टिशनर हैं।
संघ बैकग्राउंड से हैं सावंत
आयुर्वेद चिकित्सक सावंत ने अपनी यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य के तौर पर की। मुख्यमंत्री रहते हुए भी संघ के वार्षिक संचालन कार्यक्रम में भाग लेते रहे हैं। सावंत की सियसी जर्नी साल 2007 में उस वक्त शुरू हुई जब भाजपा ने उन्हें सांखली सीट से मैदान में उतारा। हालांकि उस चुनाव में उन्हें कांग्रेसप्रत्याशी प्रताप गौंस से हार का सामना करना पड़ा।
विधानसभा अध्यक्ष से मुख्यमंत्री बने
प्रमोद सावंत संकेलिम विधानसभा सीट से दो बार 2012 और 2017 में विधायक चुने गए। सावंत जाति से मराठा सावंत हैं। साल 2017 में जब मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) मुख्यमंत्री थे तब सावंत विधानसभा अध्यक्ष थे। सावंत गोवा राज्य अवसंरचना विकास निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सावंत पर्रिकर के करीबी थे। प्रमोद सावंत, मनोहर पर्रिकर को एक संरक्षक और अपना गार्जियन मानते थे। पर्रिकर की तबीयत बिगड़ने उन्होंने राज्य में अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया। साल 2017 में पर्रिकर के निधन के बाद उन्हें ही राज्य की बागडोर सौंपी गई।
वाइफ भी पॉलिटिक्स से जुड़ी हैं
प्रमोद सावंत की पत्नी सुलक्षणा केमिस्ट्री की टीचर हैं। वह बीकोलिम के श्री शांतादुर्गा हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाती हैं। इसके साथ ही सुलक्षणा सावंत सक्रिय भाजपा नेता भी हैं। वह भाजपा महिला मोर्चा की गोवा इकाई की अध्यक्ष हैं।
बेहद सरल स्वभाव के माने जाते हैं सावंत
प्रमोद सावंत बेहद सरल स्वभाव के माने जाते हैं। उनकी गिनती मृदुभाषी और सौम्य राजनेता के तौर पर होती है। वे कभी भी आलोचनाओं से विचलित नहीं होते। उनकी सरलता ही उनकी बड़ी मजबूती यानी ताकत है। यही कारण है कि जब उनके नाम पर मुहर लगी तो कोई भी इस पर ऐतराज नहीं जता सका।
छोटे कार्यकाल में साबित की काबिलियत
सावंत के कार्यकाल के दौरान कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुई और उनकी सरकार को राज्य के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत के चलते आलोचना का सामना करना पड़ा। उनके छोटे से कार्यकाल में ही राज्य को ताउते तूफान का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने अपने नेतृत्व के बलबूते राज्य को इस संकट से बाहर निकाला।
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