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- ये कोई 'खेल' नहीं, एक मजदूर पिता की 'मजबूरी' है, उसे ऐसे ही हजारों किमी पैदल चलना है, वो भी भूखे-प्यासे
ये कोई 'खेल' नहीं, एक मजदूर पिता की 'मजबूरी' है, उसे ऐसे ही हजारों किमी पैदल चलना है, वो भी भूखे-प्यासे
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पहली तस्वीर में दिखाई दे रहा मजदूर यूपी के गोरखपुर का रहने वाला है। उसने घर जाने के लिए ट्रेन में सीट बुक कराई थी, लेकिन नहीं मिली। आखिरकार उसने बच्चों को पालकी में बैठाया और हिम्मत करके 1000 किमी दूर अपने घर के लिए निकल पड़ा। दूसरी तस्वीर आंध्र प्रदेश के कडपा जिले की है। यह मजदूर 8 लोगों के परिवार के साथ 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ जाने के लिए निकला था। उसने अपने मासूम बच्चों को पालकी में बैठा रखा था। आगे देखिए ऐसी ही कुछ मार्मिक तस्वीरें...
यह हैं छत्तीसगढ़ के जांजगीर मुढ़पार की रहने वालीं 21 साल की चंद्रिका। इनका परिवार गुरुग्राम में ईंट भट्टे पर काम करता था। कामकाज बंद हुआ और घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला, तो सब पैदल निकल पड़े। करीब 170 किमी ये घिसटते हुए आगरा तक पहुंचीं। यहां पुलिस ने सबको गाड़ियों में बैठाकर आगे के लिए रवाना किया।
यह तस्वीर भोपाल से सामने आई थी। यह मासूम बच्चा अपने मां-बाप और छोटे भाई के साथ 700 किमी दूर छत्तीसगढ़ के मुंगेली गांव जाता दिखाई दिया था। बच्चा पैदल ही नंगे पैर चला जा रहा था।
यह बच्चा ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से छत्तीसगढ़ के जांजगीर पहुंचा था। करीब 215 किमी उसे पैदल चलना पड़ा। कहीं-कहीं लिफ्ट भी मिली। जब ये जांजगीर पहुंचा, तो उसके नंगे पैर देखकर बिर्रा थाने के प्रभारी तेज कुमार यादव भावुक हो उठे। उन्होंने बच्चे को नई चप्पलें दिलवाईं और उसके परिवार को खाना खिलवाया। इसके बाद गाड़ी का इंतजाम करके सबको घर तक पहुंचवाया।
यह तस्वीर मध्य प्रदेश से सामने आई थी। पश्चिम बंगाल के मालदा की खातून 2500 किमी का सफर पैदल करते दिखाई दी थीं। हैरानी की बात उनकी गोद में मासूम बच्चा था।