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इन योद्धा मां को सलाम: कोई बेटी को ड्यूटी पर साथ ले जाती, तो कोई दुधमुंहे बच्चों को घर छोड़ निभा रहीं फर्ज
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कोरोना की इस संकट घड़ी में देश की कई लेडी आईएएस अधिकरी, पुलिस, हेल्थ और जिला प्रशासन के तमाम महिला अधिकारी घर-परिवार छोड़कर समाज सेवा में लगी हैं। वह अपने बच्चों को छोड़कर दूसरों की जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए 18 से 20 घंटे की ड्यूटी कर रही हैं।
ऐसी ममता और कहां..तस्वीर में दिखा दे रहीं यह पंजाब की आईएएस शीना अग्रवाल हैं। वह जालंधर स्मार्टसिटी की सीईओ हैं और जिला प्रशासन ने उन्हें 2000 क्वारेंटाइन बेड का नोडल ऑफिसर बनाया गया हैं। शीना 18 से 20 घंटे के ड्यूटी कर जब घर जाती हैं तो उनकी बेटी उन्हें सोते हुए मिलती है। अपने फर्ज को निभाने के लिए आईएएस अफसर ने बेटी की देखरेख के लिए हरियाणा से मां को बुला लिया। ताकि ड्यूटी भी होती रहे और बेटीश्रव्या देखभाल भी।
तस्वीर में दिखाई दे रहीं यह महिला पुलिस अधिकारी हैं भूमिका दुबे है। जो दतिया जिले के बड़ौनी थाने में थाना प्रभारी हैं।वह अपने 3 साल के बेटे को घर छोड़कर अपना ड्यटी का फर्ज निभा रही है। वह बताती हैं कि उन्होंने बेटे को करीब एक महीने से गोद नहीं लिया है। कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में वह असली योद्धा साबित हो रही हैं।
मां की ममता की यह तस्वीर हरियाणा के फतेहाबाद की है। जहां पर कार्यरत हेडकांस्टेबल मीना रानी ड्यूटी के साथ-साथ एक मां की ममता का फर्ज भी निभा रही हैं। वह अपनी 10 साल की बेटी तमन्ना को साथ रखकर ड्यूटी कर रही है। उनका कहना है कि उन्हें पारिवारिक परिस्थितियों के कराण ऐसा करना पड़ रहा है। इसलिए वह बेटी को साथ लेकर आती हैं।
यह तस्वीर हरियाणा के पानीपत शहर की है। जहां डॉक्टर शीबा सेठी अपनी एक साल की बेटी को छोड़कर ड्यूटी कर रही हैं। उनके पति भी एक डॉक्टर हैं दोनों को एक समय पर ड्यूटी करना संभव नहीं था, ऐसे में दोनों ने अपनी अलग-अलग समय पर ड्यूटी कर वा ली। बता दें कि 2 मई को उनकी बेटी का जन्मदिन था, लेकिन फर्ज के आगे मजबूर डॉ. शीबा ने बच्ची का बर्थडे भी नहीं मना पाईँ।
यह तस्वीर भोपाल की है, जहां महिला बाल विकास में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत प्रियंका खरे, अपने 7 माह के बेटे को छोड़कर ड्यूटी कर रही हैं। उनकी ड्यूटी लॉकडाउन में रेपिड रिस्पांस टीम में लगी हुई है। वो अक्सर फील्ड में तैनात रहती हैं, बीच-बीच में जब उनको टाइम मिलत तो वह दूर से बेटे को देखकर चली जाती हैं।
यह तस्वीर मदर्स डे पर झारखंड के जमशेदपुर से सामने आई है। जहां एक मुस्कान नाम की महिला किराएदारों के अनाथ हुए आठ बच्चों को अपनी संतान की तरह पाल रही है।