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सिस्टम ने मार डाला..सिस्टम ने रुला दिया, गरीब महिलाओं और मांओं की दुर्दशा दिखातीं कुछ शर्मनाक तस्वीरें..

जालंधर, पंजाब. पहली तस्वीर देश में स्वास्थ्य सेवाओं की शर्मनाक हालत दिखाती है। यह गरीब गर्भवती महिला 4 दिनों तक 2 शहरों के 7 अस्पतालों में भटकती रही, लेकिन किसी भी 'भगवान' का दिल नहीं पसीजा। लिहाजा, पहले बच्चे की गर्भ में मौत हो गई और फिर महिला भी चल बसी। दूसरी तस्वीर दिखाती है कि कैसे लॉकडाउन ने अमीरी-गरीबी के बीच एक बार फिर खाइयां बढ़ा दीं। सिस्टम की खामियां हर जगह देखने को मिलीं। गरीबों की घर वापसी के ठीक से इंतजाम नहीं होने पर यह महिला फूट-फूटकर रो पड़ी। हजारों गरीबों को पैदल घर जाना पड़ा। वहीं, अमीरों और उनके बच्चों के लिए सरकार ने बसों का इंतजाम कराया। बाद में जब श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं, तब भी लोगों को परेशानी उठानी पड़ी। आइए देखते हैं सिस्टम की खामियों से परेशान और रोती महिलाओं की कुछ तस्वीरें..

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Asianet News Hindi
Published : Jun 06 2020, 10:38 AM IST
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पहली तस्वीर 22 वर्षीय सीमा की है, जो अब इस दुनिया में नहीं रही। इसके पति विक्की जालंधर जिले के आदमपुर में ईंट भट्टे पर काम करते हैं। सीमा गर्भवती थी। 22 मई को दर्द होने पर विक्की उसे लेकर आदमपुर के सरकारी अस्पताल पहुंचे। लेकिन डॉक्टरों ने उसे जालंधर रेफर कर दिया। यहां सरकारी अव्यवस्थाओं के चलते उसके कोरोना टेस्ट में विलंब हुआ। नतीजा, बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई। जब सीमा की हालत बिगड़ी, तो यहां के डॉक्टरों ने उसे अमृतसर रेफर कर दिया। वहां भी डॉक्टरों ने सपोर्ट नहीं किया। विक्की अपनी पत्नी को लेकर जालंधर लौट आया। यहां उसे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, वहां उसे दम तोड़ दिया। विक्की ने बताया कि इस दौरान वो कुछ और अस्पतालों में भी गया, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। वो 4 दिन तक 2 शहरों के 7 अस्पतालों के चक्कर काटता रहा। अब जब मामला तूल पकड़ा, तो जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। विक्की ने कहा कि 5 मई को अल्ट्रासाउंड में सबकुछ ठीक था। लेकिन डॉक्टरों ने ठीक से इलाज नहीं किया। वो गरीब है, इसलिए प्राइवेट अस्पताल नहीं जा सका। दूसरी तस्वीर नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन के बाहर की है। जब इस महिला को मालूम चला कि कुछ ट्रेनें कैंसल कर दी गई हैं, तो वो रो पड़ी। वो घर वापसी की उम्मीद में आई थी।

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घर वापसी की उम्मीद में बच्चे को गले से लगाकर रो पड़ी मां।

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यह तस्वीर नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन के बाहर की है। ऐसी सैकड़ों महिलाएं थीं, जिन्हें गर्भ के बावजूद पैदल चलना पड़ा।

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यह तस्वीर पश्चिम बंगाल की है। अम्फान तूफान की बबार्दी के बाद अपने दिव्यांग बेटे के साथ स्कूल में बनाए गए शिविर में बैठी एक मां।

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ये दोनों तस्वीरें मुंबई की हैं। पहली तस्वीर में निराश मजदूर मां। दूसरी में एक प्रवासी मजदूर मां अपने बच्चे को बहलाते हुए।

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असम में अम्फान तूफान के बीच से अपने बच्चे को निकालकर ले जाती मां।

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सरकारी खामियां के कारण लॉकडाउन में गरीबों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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यह तस्वीर कोलकाता की है। अस्थायी घर में अपने मासूम बच्चे के साथ मां।

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