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ओलंपिक में इतिहास रच रहीं बेटियां, लेकिन यह खिलाड़ी पार्किंग में बेच रही टिकट..रुला देगी बेटी की कहानी
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दरअसल, यह इस खिलाड़ी का नाम रितु है, जो कि बॉक्सर है, वह नेशनल लेवल की प्लेयर रह चुकी हैं। लेकिन आज उसकी हालत इतनी बुरी हो गई है कि वह घर चलाने के लिए एक पार्किंग स्लॉट में काम कर रही है। जिन हाथों से वह पहलवानों को चित करती थी अब वो बेबस होकर इन दिनों सेक्टर 22 की पार्किंग टिकट बेच रही है।
रितु के पिता बीमार हैं, जिनकी दवाई का खर्चा हर महीने करीब 10 हजार रुपए आता है। जिसके चलते उसे अपना खेल छोड़ना पड़ा। क्योंकि घर में पिता अकेले ही कमाने वाले थे, लेकिन उनके बीमार होने के चलते अब रितु को काम करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं घर का खर्चा चलाने की खातिर इस प्लेयर ने अपनी पढ़ाई तक बीच में चोड़ दी।
बॉक्सर रितु का कहना है कि उसने नेशनल लेवल पर कई मैच खेले हैं और जीत हासिल कर मेडल जीते हैं। है। मेरे पिता ने मुझे खेल में आगे बढ़ने के लिए हर तरह से मदद की। लेकिन पिता की तबीयत खराब होने के बाद मेरी सरकार और हॉकी संस्थान ने कोई मदद नहीं की। अगर उसे मदद मिली होती तो वह भी ओलंपिक में मेडल लाती और देश का नाम रोशन करती।
बता दें कि रितु ने फिलहाल 12वीं पास की हुई है। वह आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन पिता की तबीयत और परिवार की हालत देखते हुए उसे पढ़ाई छोड़ना पड़ा। अगर उसे शासन की तरफ से मदद मिली होती तो शायद वह भी एक बड़ी खिलाड़ी बन सकती थी।
रितु का कहना है कि अब मेरी सरकार से विनती है कि वह मेरी मदद करें, जिससे में दोबारा बॉक्सिंग खेल सकूं। साथ ही अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर सकूं। साथ ही उसका कहना है कि वह आर्मी में जाना चाहती है। जिसके लिए वह लगातार एग्जाम भी दे रही है।